पांच ऐसी जगह जहाँ राक्षस रावण की होती है पूजा

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रावण

भारत एक ऐसा देश है जहाँ 33 करोड़ देवी देवताओं को पूजा जाता है | जहाँ लोग देवी देवताओं के गुणों को अपने जीवन में लाने की कोशिश करते है | वहीं दूसरी तरफ भारत में ही कुछ ऐसे स्थान भी है जो अहंकार से भरपूर राक्षस रावण की पूजा अर्चना करते है | रावण ने अपने अवगुणों के कारण ही माँ सीता का अपहरण किया व परिणाम स्वरूप भगवान राम द्वारा मारा गया | इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रूप में दशहरे के नाम से पावन पर्व भी मनाया जाता है जहाँ राक्षसों के सम्राट रावण के पुतले का दहन किया जाता है पर देश के ही कुछ जिलों में रावण का पूजन भी किया जाता है | आइये जानते हैं वे अद्भुत शहर जो दस मुखी राक्षस को पूजते है और क्यों ?

 

  1. मंदसौर :- यह मध्यप्रदेश में स्थित है वास्तव में मंदसौर का नाम दशपुर है | रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी यहाँ की बेटी थी | जिसके तहत रावण इस नगर का दमाद था और भारतीय संस्कृति में दमाद को भगवान की तरह सम्मानित किया जाता है | इसी प्रथा को कायम रखते हुए मंदसौर के लोग रावण का दहन करने की बजाए पूजा करते है यहाँ तक की मंदसौर के रुंडी में रावण की मूर्ति भी बनाई हुई है जिसे वहॉं के लोगो द्वारा पूजा जाता है |

2 उज्जैन :- मध्यप्रदेश का एक और जिला है जिसका नाम उज्जैन है | उज्जैन में चिखली नामक एक गाँव है | यहाँ के लोगो की एक अविश्वसनीय सोच है की अगर वे रावण की पूजा नहीं करेंगे तो उनका गाँव रावण के क्रोध का शिकार हो जाएगा व आग से जलकर राख में तब्दील हो जाएगा | इसी डर के कारण ग्रामीण रावण का दहन नहीं करते बल्कि उसकी मूर्ति की पूजा करते है |

3 बैजनाथ :- हिमाचलप्रदेश के कांगड़ा जिले में एक कस्बा भी रावण को पूजता है | लोगो का मानना है की रावण ने यहां शिव भगवान की कड़ी तपस्या कर उन्हें खुश किया था | जिस से प्रसन्न हो कर भोलेनाथ ने उसे सर्वशक्तिमान होने का वरदान दिया था | इसलिए भक्ति के प्रतीक रावण का पुतला इस स्थान पर नहीं जलाया जाता |

 

4  जोधपुर :- राज्यस्थान में जोधपुर नामक एक जगह है जहां के कुछ लोगो का मानना है की वे रावण वंश से ताल्लुकात रखते है | जोधपुर में ही रावण का मंदिर भी है और प्रतिमा भी स्तापित है | इस स्थान को लेकर लोगो की अलग अलग सोच है कुछ लोगो द्वारा जोधपुर को रावण का ससुराल भी कहा जाता है |

 

5 अमरावती :- अमरावती जो की महाराष्ट्र में है | यहां रावण की भगवान की तरह पूजा अर्चना की जाती है | यहां पर एक आदिवासी समुदाय है जो रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानता है | इसीलिए ये समुदाय रावण को राक्षस न मानकर उसकी पूजा करते है |

 

लोगो की मान्यताओं में कितनी हकीकत है यह कहना मुश्किल है पर किसी राक्षस की पूजा करना अपने आप में एक अनोखी बात है |