दीपावली का त्यौहार बस आने ही वाला है और लोगो में सबसे ज्यादा उत्साह पटाखों को लेकर है लोगो को पटाखे जलाने में बहुत ही ज्यादा ख़ुशी मिलती है हालंकि इन सबके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फिर भी दिवाली से पहले कुछ निर्देश दिए है सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को निषेध नहीं किया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर कुछ निर्देश दिए है आइये जाने क्या है निर्देश |
सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने फ्लिप्कार्ट और अमेज़न जैसी वेबसाइट पर मिलने वाले ज्यादा डेसिबल वाले पटाखों की बिक्री ही रोक दी है और साथ ही कोट ने कहा है की सिर्फ जो पटाखे कम प्रदुषण फैलाते है उन्ही को बाजार में बेचा जाए और त्यौहार के दिन सिर्फ 8 बजे के आस पास ही आतिशबाजी की जाये |सिर्फ दिवाली के लिए नहीं बल्कि शादी , न्यू इयर ऐसे मौको पर भी ज्यादा देर तक आतिशबाजी नहीं की जा सकती है ज्यादा प्रदुषण के कारण ये फैसला लिया गया है |हर मौके पर टाइम के अनुसार ही पटाखों का उपयोग किया जाएगा ज्यादा देर तक पटाखों से छेड़कानी नहीं की जायेगी |
सुप्रीम कोर्ट के दिवाली के लिए निर्देश है ये –
(1) लड़ी की बिक्री को रोक दिया जाएगा क्यूंकि इससे सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदुषण फैलता है और साथ ही सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण और कचरा भी इसी से फैलता है |
(2) कोर्ट ने कहा है की अगर फ्लिपकार्ट और अमेज़न पर तय लिमिट से बड़े पटाखों की बिक्री होती है तो इन कंपनियों पर कार्यवाही की जायेगी |
(3) प्रशासन द्वारा तय की गयी जगहों पर ही प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्री होगी और जिनके पास लाइसेंस नही है वो ऐसा नहीं कर सकते है |
(4) दिवाली से पहले कोई भी फैक्ट्री पटाखे नहीं बना सकती है अगर बनाएगी तो उस पर कार्यवाही की जायेगी |
(5) दिवाली पर आप पटाखे जला सकते है लेकिन आपको इन शर्तो को मानना ही पड़ेगा |
इन निर्देशों को हर जगह लागु करने की जिम्मेदारी इलाके के SHO की होगी इस फैसले पर भी पर्यावरणविद विमल ने नाराजगी जताई है उन्होंने कहा की दिल्ली में वैसे ही इतना प्रदुषण है ऊपर से पटाके जलाने की अनुमति देना ठीक नहीं है इससे प्रदूषण बढेगा और हेल्थ पर इफ़ेक्ट होगा |
कोर्ट का कहना है की सविधान के अनुसार हम पटाखों पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकते है और इसलिए हमने कई दुकानों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है जिससे पटाखों की बिक्री कम हो जायेगी |
क्या कहते है पटाखा निर्माता –
पटाखा निर्माताओं का कहना है की पटाखों पर प्रतिबन्ध लगाने से कुछ नही होगा और इससे ज्यादा फर्क पर नहीं पड़ता है वायु प्रदूषण पर इसलिए हमे लगता है की इस मुद्दे पर साइंटिस्ट को अध्ययन करना चाहिए उन्होंने आगे कहा की कोर्ट हर साल कम पटाखे जलाने की बात करता है बता दे की कई लोगो की सांस में दिक्कत होने के कारण कोर्ट में ये याचिका पहले ही जा चुकी है इसलिए इसे बार बार उठाना गलत है |