अंतरिक्ष में भारत एक और बड़ा कदम रखने जा रहा है. इस मिशन के बाद भारत चंद्रमा पर पहुंचने का सपना दूसरी बार सच करेगा. जानकारी के मुताबिक भारत चंद्रमा पर यान भेजने के लिए दूसरी बार पूरी तरह से तैयार है. जैसे-जैसे चंद्रयान के लौचिंग का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे ड़कनें भी तेज हो रही हैं. रविवार की सुबह श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 के लिए 20 घंटे का काउंटडाउन शुरू होगा. तो चलिए जानते है विस्तार से….
चंद्रयान-2 तैयार
जैसा की हमें पता है देश की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी मिशन मून को पूरा करने के भारत कई सालो से दिन रात मेहनत कर रहा था. आज वो मेहनत रंग ला पाया है. मेहनत की वजह से ही आज चंद्रयान-2 को अंतिम रूप दिया जा रहा है. वहीं चंद्रयान 2 को ले जाने वाले यान जीएसएलवी मार्क-III की श्रीहरिकोटा में मौजूद स्पेस सेंटर में अंतिम रूप से जांच चल रही है. जानकारी के लिए बता दे कि 15 जुलाई को रात 2.51 बजे इस यान को लॉन्च किया जाएगा.
चंद्रयान से जुड़ी़ से खास बातें
- चंद्रयान 2 को श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जीएसएलवी एमके- 3 की मदद से 15 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा.
- इस यान को अर्थ पार्किंग ऑर्बिट में भेजा जाएगा. इस यान की मदद से चंद्रमा की सतह पर खनिजों की जानकारी प्रताप किया जा सकता है.
- यह यान पेलोड के साथ चंद्रमा की भी परिक्रमा करेगा.
- 6-7 सितंबर को चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरेगा. ये चांद के दक्षिणी पोल पर उतरेगा.
- चंद्रयान 2 यान ऑर्बिटर में एक साल के लिए सक्रिय रहेगा.
- वो चांद की परिक्रमा भी करेगा.
चंद्रयान-2 में क्या रहेगा खास
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चंद्रयान-2 का वजन लगभग 3290 किलो होगा. कहा जा रहा है कि जब यह यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा तो यह ऑर्बिटर, लैंडर से अलग हो जाएगा. जिसके बाद लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और फिर रोवर उससे अलग हो जाएगा. यह यान कई टेक्नोलॉजी से लेश है. इसमें कैमरा संवेदनशील उपकरणों, और सेंसर्स जैसे कई लेटेस्ट उपकरण लगाये गए है. कयास लगाया जा रहा है की इस यान के मदद से वहां पर मौजूद मिनरल्स और अन्य पदार्थों के बारे में पता लगाया जा सकता है.
सोलर पावर उपकरणों से लैस है रोवर
रोवर में पॉवर की कोई तकलीफ न हो इसके लिए वैज्ञानिकों ने इसको खास ध्यान रखते हुए डिजाईन किया है. इस यान को सोलर पावर उपकरणों से भी लैस किया गया है. आपको याद दिला दे की भारत ने साल 2008 में चंद्रयान 1 को लॉन्च किया था,लेकिन ईंधन की कमी की वजह से इस मिशन को जल्द ही ख़त्म कर दिया गया था.
मिशन का उद्देश्य
इसरो के वैज्ञानिकों की माने तो इस यान को भेजने के पीछे का मकसद यह है की वहां पर मौजूद सतह पर पानी के प्रसार का पता लगाया जा सके. इसके साथ ही कुछ प्रकार के रासायनिक तत्वों का अध्यय किया जा सके.