आखिरकार, बुधवार को लोकसभा में विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 पारित कर दिया गया। इस विधेयक को पास करने के लिए 287 वोट पक्ष में और 8 वोट विपक्ष के लिए आए। आतंकवाद से संबंधित मामलों की पुरी जांच करना तथा अभियोजन की प्रक्रिया में कई मुश्किलों को खत्म करना होता है। अब इस बिल को मुख्य विपक्षी दल यानि कांग्रेस ने स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की माँग की और इसका विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए। इस बिल को लाने वाले कांग्रेस सरकार थी, जो कि 1967 में आया था। इसके लिए कांग्रेस सरकार समय समय पर बदलाव करने का सोच रही है। और अब भी इसके लिए कांग्रेस सरकार मानने को तैयार नहीं हो रही थी। खैर, यह बिल लोकसभा में पास हो गया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा पर कहा कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने एक दमदार बात भी कही कि आतंकवाद बंदूक से नहीं पैदा नहीं होता, इसके लिए उन्माद फैलाया जाता है। बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री ने सरकार का साथ दिया। उनका कहना था कि सरकार आतंकवाद से लड़ती है, भले ही वो किसी की भी सरकार हो।
इसके बीच एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी पीछे नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस पार्टी की गलती है। इस कानून को लाने वाले मुख्य दोषी कांग्रेस ही है।
ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक के द्वारा अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हो सकता है। ऐसे किसी भी सरकार को आतंकवादी नहीं कह सकते हैं।
ओवैसी की बात को करारा जवाब देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि आप लोग हमारे ऊपर सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं देख रहे हैं कि यह बिल कौन लेकर आया। इस बिल के प्रावधानों को सख्त करने वाला कौन है। अमित शाह की मानें तो यूएपीए में किसी व्यकित को आतंकवादी घोषित करने का भी प्रावधान है। किसी को आतंकवादी घोषित तभी किया जाएगा,जो व्यक्ति आतंकवादी गतिविधियाँ करते पकड़ा जाता है या उसमें हिस्सा लेता है।
बिल में किए गए बदलावों पर गृह मंत्री ने कहा कि सीआरपीसी के तहत इसमें रिमांड के लिए 14 दिन रखे गए हैं, जिसमें कस्टडी का टाइम अब 30 दिन कर दिया है, लेकिन इस प्रावधान को लाने वाले चिदंबरम हैं। धारा 25 के प्रावधान के संशोधन का काम केंद्रीय सरकार ने किया है।