RIP ARUN JAITLEY : पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार दोपहर देहांत, बिमारी के चलते एम्स में थे भर्ती

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ARUN JAITLEY

भारतीय जनता पार्टी के नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार दोपहर निधन हो गया है। उनका निधन दोपहर 12:07 बजे हुआ। पूर्व वित्त मंत्री 66 साल के थे। सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत की वजह से जेटली पिछले दिनों 9 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किये गए थे।

पिछले साल उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। स्वस्थ शरीर न होने के कारण वह इस साल केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल नहीं हुए थे। इस खबर को सुनते ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हैदराबाद दौरे को ख़त्म कर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं।

सूत्रों की मानें तो अरुण जेटली के फेफड़ों में पानी जमा होने लगा था, जिसके कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। जिस वजह से डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया। उन्हें कैंसर भी था, जिसका नाम सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा कहा जाता है। कैंसर के इलाज के लिए वह अमेरिका भी गए थे। पूर्व वित्त मंत्री को डॉयबिटीज़ की भी बिमारी थी। मोटापा काम करने के लिए उन्होंने बैरिएट्रिक सर्जरी भी कराई थी।

उनका जीवन परिचय :-

भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता वकील महाराज किशन जेटली और माँ रतन जेटली थीं। उनकी स्कूलिंग दिल्ली के संत जेवियर्स स्कूल में हुई। सन 1973 में उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के बी.कॉम किया। सन 1977 में दिल्ली विश्विद्यालय से लॉ की पढ़ाई की। उनके परिवार में पत्नी संगीता जेटली, बेटा रोहन और बेटी सोनाली हैं। उन्हें पढ़ने-लिखने का शौक था। उन्होंने अपने जीवन में कानून की कई किताब भी लिखी थीं। सूत्रों के मुताबिक़, अरुण जेटली पेशे से सीए बनना चाहते थे लेकिन, बाद में, उन्होंने अपने पिता की तरह वकालत करनी चाही। उन्होंने अपने जीवन काल में देश के वित्त मंत्रालय, कॉर्पोरेट मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय,कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में कार्यभार संभाला।

उनका राजनीतिक जीवन :-

अरुण जेटली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सदस्य हैं। केंद्र में आयी नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री का पद संभाला। इससे पहले उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, कॉर्पोरेट,उद्योग और कानून व न्याय के मंत्रिमंडल विभाग में भी अपना योगदान दिया। पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य में आ रही गिरावट की वजह से वह 2018-19 का केंद्रीय बजट और 2019-20 का अंतरिम बजट पेश नहीं किया था। 2019 में हुए लोक सभा चुनाव से भी वह दूर रहे।

मोदी सरकार द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसले, जैसे, विमुद्रीकरण और जीएसटी को देश में लागू करने के दौरान भी अरुण जेटली मौजूद थे। आम बजट की तारीख को आगे बढ़ाने का फैसला भी जेटली का ही था। आम बजट में रेल बजट का साथ में लाना भी अरुण जेटली की मंजूरी में हुआ।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में, अमृतसर सीट से अरुण जेटली कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह से हार गए थे। अपने जीवन के दो दशकों में से अधिक समय उन्होंने सरकार को महत्वपूर्ण हिस्सा रहे अरुण जेटली, बेहतरीन रणनीतिकारों के रूप में जाने जाते हैं।

वह मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र,जम्मू-कश्मीर,दिल्ली,असम,पश्चिम बंगाल, और गुजरात में प्रभारी के तौर पर रहे।

देश के दिग्गज नेताओं में एक, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी वह केंद्रीय मंत्री के तौर पर रहे। दशक 80 के दिनों में ही जेटली ने वकील के तौर पर सुप्रीम कोर्ट और देश की कई हाई कोर्ट में नामी केस लड़े थे। साल 1990 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सीनियर वकील का दर्जा दिया गया।