अंग्रेजी हुकूमत से हर कोई तंग था। भारत के लोग इस उम्मीद से बैठे थे वो सूरज कब निकलेगा जिस दिन हमारी जिंदगी का यह अंधकार खत्म होगा। अंग्रेजी शासकों के अत्याचार का विरोध हर कोई करना चाहता था। उनके राज की सीमा का अंत हर कोई करना चाहता था, लेकिन कैसे ?
भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 और तारीख 9 अगस्त। 77 साल पहले शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने सभी अंग्रेजी शासन की नींद उड़ा कर रख दी थी। देश को अंग्रेजी शासकों से आज़ाद कराने के लिए महात्मा गाँधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दे दिया था। कहा जाता है कि इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले महात्मा गाँधी ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला कर रख दी थी। इस आंदोलन के प्रस्ताव को पारित किया गया था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति की बम्बई सत्र में। लेकिन महात्मा गाँधी समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिए गया। जिसके बाद इस आंदोलन संचालन अब आम लोगों के हाथ में आ गया था।
अहिंसक नहीं, हिंसक आंदोलन चाहते थे महात्मा गाँधी
इन सब के बावजूद युवा महिला ये कह लें एक युवा नेत्री ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी। उनका नाम था – अरुणा आसिफ अली। आंदोलन की अगुवाई की थी छात्रों, महिलाओं और किसानों ने। इस आंदोलन में सारा भारत एक साथ था। महात्मा गाँधी ने इस आंदोलन को अहिंसक करना चाहा लेकिन देश के कई हिस्सों में इसका हिंसक रूप ही सामने आया। अंग्रेजी शासक पहले से ही दूसरे विश्व युद्ध की मार झेल रह थे की इस आंदोलन ने उनके पैरों की ज़मीन छीन ली।
गुस्से से आग बबुला थे लोग, परेशान हो गए थे अंग्रेज
लोग अंग्रेजी शासन के प्रति अपना गुस्सा दिखाने लगे। देश भर के लोग सड़कों पर उतर आए। सरकारी दफ्तरों पर उन्होंने तिरंगा फहराना शुरू कर दिया। कहा जाता है की इस आंदोलन के खिलाफ कई भारतीय नेता थे। लेकिन महात्मा गाँधी ने इस आंदोलन की शुरूआती बिगुल पहले ही बजा दिया था। और उनके साथ थे भारत के आम लोग। लाखों लोगों ने पुलिस की मार झेली, काफी लोगों को गिरफ़्तार कर झेल भेजे गए। लेकिन भारतीय लोगों के अंदर भरा गुस्सा आग से कम नहीं था।
‘ करो या मरो’ के मंत्र को स्वीकार कर लिया था लोगों ने
महात्मा गाँधी की यह सोची समझी रणनीति थी। जिसका असर अंग्रेजों पर खूब देखा गया। इस आंदोलन से पहले महात्मा गाँधी ने गोवलिया टैंक मैदान (जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के रूप में भी जाना जाता है) ने एक भाषण दिया था। उन्होंने कहा – मैं आपको एक मंत्र देना चाहता हूँ जिसे आप अपने दिल में उतार लें, यह मंत्र है, करो या मरो। और इस मंत्र को लोगों ने स्वीकार कर लिया।
इस आंदोलन को अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है। इसी आंदोलन से अंग्रेजों ने यह विचार कर लिया था की अब इस देश को छोड़ना ही होगा।