बस कुछ ही दिनों में लम्बे समय का इंतजार खत्म होने जा रहा है। जैसा की हम सबको पता है दिल्ली में कुछ ही महीनो बाद विधानसभा चुनाव होने को है। ऐसे में जनता को लुभाने के लिए राजनितिक पार्टी अभी से ही सक्रिय हो गई है। वहीं राजनीतिक पार्टी जनता को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास करने में जुट गए है। इसकी तैयारियों को लेकर 3 प्रमुख राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी (आप), बीजेपी और कांग्रेस के नेता सक्रिय दिखाई दे रहे है। हालांकि आप ने अपनी राजनीति में काफी बदलाव भी किये है।
डर का दूसरा नाम मोदी
हम सबको पता है की इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल कर एक नया इतिहास रचा है। लेकिन यह कहना गलत नही होगा की इस जीत को हासिल करने के लिए बीजेपी को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा था। हालंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मेहनत कांग्रेस को करनी पड़ सकती है। क्युकी हाल में ही उनके कई विधायक पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गये है। भले ही कांग्रेस विपक्ष में है, लेकिन मोदी या फिर कहे बीजेपी के सामने कांग्रेस एक कटपुतली जैसी बन गई है।
हिंदू पॉलिटिक्स
धारा 370 और 35A जैसे गंभीर कदमों पर विपक्षी पार्टी बीजेपी कके खिलाफ आवाज उठाने में समर्थ न है। कांग्रेस ही नही बल्कि सीपीआई (एम) और टीएमसी की स्थिति भी कुछ एक जैसी ही है।आने वाले चुनाव में मोदी की सक्रियता, और लोकप्रियता शायद आप के लिए चुनौती भरी हो सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है की एक तरफ आप पार्टी जिसमे जनता के हित में काम किया है। मसलन साफ़ है की आने वाले विधान सभा चुनाव में अरविन्द केजरीवाल अपनी कुर्सी बचा सकते है।
क्या होगा केजरीवाल का..?
हाल में ही MCD चुनाव में आप को हार का सामना करना पड़ा था। न केवल AAP के सभी सात उम्मीदवार हार गए,बल्कि अपनी जमा पूंजी भी खो दी। पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में, आतिशी मार्लेना सिंह, जिनके लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आक्रामक प्रचार किया था, लगभग अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाते हुए, कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली से भी हार गए थे। वहीँ अब किसी भी चुनाव में हिन्दू एक मुद्दा बन चूका है। हिंदू’ के रूप में केजरीवाल ने अपनी एक अलग पहचान बनी ली है। याद दिला दे लोकसभा चुनाव के 12 दिन बाद, केजरीवाल ने एक तस्वीर को रिट्वीट किया,जिसमे AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री नीलकंठ वर्णी मूर्ति का अभिषेक करते हुए दिखाए गए थे।