भगवान श्री कृष्ण की तस्वीरें तो हर किसी ने देखी हैं। एक नन्हे से बच्चे के रूप में, एक नटखट शरारती बच्चे के रूप में, एक नौजवान के रूप में, और एक महान पुरुष के रूप में। ना जाने विश्व में कितनी ऐसी तस्वीरें हैं जिन्हें देख हर कोई कृष्ण रास में डूब जाता है। लेकिन ज्यादातर चित्रों में कृष्ण अपनी किसी ना किसी प्रिय चीज़ के साथ देखा गया है।
आपको भी उनकी वो प्रिय चीज़ों के नाम तो जानते ही होंगे। जी हाँ, माखन, बांसुरी, मोर पंख, गौ माता या ग्वाल और कमल के बीजों से बनीं वैजयंती माला
बांसुरी – श्री कृष्ण को अपनी बांसुरी बहुत प्रिय है। कहते हैं की श्री कृष्ण हर ख़ुशी और ग़म के माहौल में अपनी बांसुरी को बजाते थे। उनकी बांसुरी की धुन जो भी सुनता वो मंत्रमुग्ध हो जाता था। दूर दूर से लोग उनकी बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनने आए थे। इसीलिए उन्होंने बाँसुरीवाला, बंसीबजैया और बंसीवाला भी कहते हैं। कृष्णा जी का मानना था की जिस तरह बाँसुरी में कोई गाँठ नहीं होती, उसी तरह मनुष्य को भी किसी बात की गाँठ नहीं बाँधनी चाहिए। कथाओं में कहा गया है की भगवान श्री कृष्ण की बाँसुरी में माँ सरस्वती के सात सुर विराजते हैं।
गौ माता – आपने श्री कृष्ण की गइया चराने वाली चित्र भी देखी होगी। श्री कृष्ण को ग्वाला भी कहा जाता है। श्री कृष्ण को गौ माता अति प्रिय हैं, क्योंकि यह शांत और सभी गुणों से भरपूर है। तभी तो गाय के दूध से निकला माखन श्री कृष्ण बड़े चाव से खाते थे। भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ वृन्दावन के गोवर्धन पर्वत पर गौ चराने जाते थे। और अपनी बंसी बजाते।
माखन – यह तो सभी जानते हैं की श्री कृष्ण अपने बचपन में गोपियों के घर में घुस कर माखन से भरी मटकी फोड़ दिया करते थे। और इस शरारत में साथ देते थे उनके सखा। जब उनकी शिकायत करने गोपियाँ माँ यशोदा के पास जातीं तो श्री कृष्ण बड़े ही मासूम से चेहरे के साथ ना कर देते। ऐसे में माँ यशोदा गोपियों को डांट फटकार कर भेज देतीं। और कहतीं की मेरा लला कभी ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन बाल कृष्ण की यह शैतानी कभी ख़त्म नहीं होतीं थीं। यहाँ तक ही लड़कपन में भी उनके लिए यह एक खेल बन चुका था। जिस कारण साड़ी गोपियाँ परेशान रहतीं।
मोर पंख – भगवान कृष्ण का मोर के प्रति काफी प्रेम रहता है। तभी तो भगवान कृष्ण अपने मुकुट पर मोर पंख हमेशा से लगा रहता है। वैसे तो कई कारण बताये गए हैं की क्यों भगवान कृष्ण सर पर मोरपंख लगाते हैं। एक कथा में कहा गया है की जब कृष्ण अपनी बांसुरी से मधुर गीत बजाते थे, तो राधा रानी के कदम थिरकने लगते थे। वो झूम-झूम क्र नाचने लगती थीं। उन्हें नृत्य करते देख वन के मोर भी नाचने लगते थे। एक बार जब मोर का नृत्य करते वक़्त पंख टूट क्र भूमि पर गिर गया। तो भगवान कृष्ण ने उसे अपने माथे पर लगा लिया। तब से भगवान कृष्ण के सर पर मोरपंख उनके श्रृंगार का एक भाग बन गया।
वैजयंती माला – भगवान श्री कृष्ण गले में हमेशा वैजयंती माला पहने रहते थे।कहते है की इस माला के जप से श्री कृष्ण खुश होते हैं। इस माला को काफी शुद्ध माना। इस माला को जो भी व्यक्ति धारण करता है उसे जीवन में सुख-शांति मिलती है। इस माला के पहनने से गृह-नक्षत्र के सभी दोष मिट जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में धारण की गयी इस माला का अच्छा फल मिलता है।