Dr. Sarvepalli Radhakrishnan आज याद किए जाएँगे – HAPPY TEACHER’S DAY

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Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan का आज जन्मदिन है। हम सभी अपने जीवन का पहला कदम अपने माँ-बाप की ऊँगली पकड़ कर ही सीखते हैं। न जाने कितनी बार हमारे कदम लड़खड़ाते होंगे और न जाने हम कितनी दफा गिरते भी होंगे। और जब भी हमारे कदम लड़खड़ाए या जब भी हमने चोट खाई, तब हमारे दर्द पर मरहम लगाने को हमारे माता-पिता हमारे साथ रहते थे। अपने से बड़ों के पैर छूना और आशीर्वाद लेना भी हमें उन्होंने सिखाया। जिसको हम आज भी नहीं भूल सकते। न जाने हमारी कितनी गलतियों पर उन्होंने भूल समझ कर माफ़ किया होगा। न जाने कितनी शैतानियों पर खिल-खिलाकर हँसे होंगे। उस वक़्त को हमारे माँ-बाप कभी नहीं भूल सकते। और इसीलिए उन्हें भगवान से भी दर्जा दिया जाता है।

पुस्तकें वो साधन हैं जिनके जरिए हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

माँ-बाप के बाद हम स्कूल में अपने शिक्षकों से जीवन की अनमोल सीख सीखते हैं। जीवन का हर पाठ वो ही हमें सिखाते हैं। ‘क, ख, ग’ से लेकर बड़े-बड़े अक्षरों तक उन्होंने हमें मुँह ज़ुबानी याद कराए हैं। कठिन से कठिन परीक्षा में भी उन्होंने कभी हमें अकेला नहीं छोड़ा। हमारी हर सफलता के पीछे उनका ही हाथ रहा है। देश का इतिहास हो या भूगोल, विज्ञान हो या गणित, इन विषयों को दिलचस्प बनाने वाले हमारे शिक्षक कमाल ही हैं। हमारे देश में शिक्षक दिवस Dr. Sarvepalli Radhakrishnan की याद में मनाया जाता है। उनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमानी गॉंव में हुआ था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे देश के सर्वप्रथम उप-राष्ट्रपति थे। हमारे देश में साल 1962 से शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा है।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ने ही यह इच्छा जताई थी कि उनका जन्मदिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। तभी से हर साल हमारे देश में इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाने लगा। कहते हैं कि वह बचपन से किताबों को पढ़ने के शौक़ीन थे और वह स्वामी विवेकानंद से भी काफी प्रभावित थे। स्कूलों में बच्चे रंगारंग कार्यक्रम करते हैं। अपने शिक्षकों के लिए सुंदर-सुंदर कार्ड और गिफ्ट्स देते हैं। काफी स्कूलों में बच्चे ही टीचर्स के रूप में तैयार होते हैं। और उनसे जुड़ी साड़ी बातें एक-दूसरे को बताते हैं।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan कहते थे कि ‘शिक्षक वह नहीं जो विद्यार्थी के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे। यही नहीं वो ये भी कहते थे कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अतः विश्व को एक ही ईकाई मानकर शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए।’

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan को बीसवीं सदी के महान शख्सियतों में गिना जाता है। उन्हें महान दार्शनिक भी माना जाता है। साल 1931 में ‘नाईटहुड’ का नाम दिया गया। वे मानते थे कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए। उनके पिता उनके अंग्रेजी पढ़ने या स्कूल जाने के खिलाफ थे। वह अपने बेटे को पुजारी बनाना चाहते थे। लेकिन उनका मन तो सिर्फ पढ़ाई की तरफ ही खींचा चला जाता। उन्होंने मद्रास के एक  क्रिश्चियन कॉलेज में फिलॉसफी की पढ़ाई की।

साल 1949-1952 तक Dr. Sarvepalli Radhakrishnan USSR के राजदूत रहे। साल 1952-1962 तक आज़ाद भारत का उपराष्ट्रपति बनाया गया। साल 1954 में उन्हें भारत रत्न का सर्वोच्च सम्मान दिया गया। साल 1962-1967 तक वो देश के राष्ट्रपति के पद पर भी रहे। उन्हें 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट भी किया गया था। जिसमें वह 16 बार लिटरेचर और 11 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट हुए थे।