भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 से अलग होने के साथ ही आज विक्रम लैंडर को चांद की सबसे नजदीकी कक्षा में डाल दिया। सबको पता है यह चंद्रयान-2 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसको लेकर सभी वैज्ञानिक बेहद खुश भी नज़र आ रहे है। बताया जा रहा है कि विक्रम लैंडर चांद से सिर्फ 35 किमी दूर है। मतलब यह की बस कुछ ही घंटो बाद यह मिशन सफल हो जायेगा। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि विक्रम लैंडर की सेहत अच्छी है।
5 और 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सेहत की जांच होगी
जानकारों की माने तो चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ करीब 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है – पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, यह फाइनल लैंडिंग के बाद ही बाहर निकलेगा। बाहर निकलने के बाद चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। विक्रम के चांद को छूने के साथ ही वैज्ञानिकों को चंद्रमा से पृथ्वी की वास्तविक दूरी पता चल जाएगी।
चांद पर उतरेगा विक्रम लैंडर
- 6 और 7 सितंबर की रात करीब 1:30 से 1.40 बजे विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा।
- इस समय इसकी गति 200 मीटर प्रति सेकंड होगी।
- करीब रात के 1.55 मिनट पर विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा।
- 6 किमी की ऊंचाई से लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा।
- करीब 15 मिनट का समय इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
- लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा।
- 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा।
- जानकारी के मुताबी सुवह के 5 बजे प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा।
- 10 मिनट बाद यह प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा।
- 14 दिनों तक यात्रा करने के दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।
इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण
बताया जा रहा है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से करीब 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। इसके साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा। 27 किलो के इस रोबोट पर ही पूरे मिशन की जिम्मदारी है। चांद की सतह पर यह करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा।