Siachin Glacier: सियाचिन दुनिया के सबसे उंचे युद्ध क्षेत्र में शुमार है। दुनिया भर में भ्रमण करने वालों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। इस एलन के बाद आप भी सियाचिन की ग्लेशियर का भ्रमण कर सकते है। अब देखना दिलचस्प होगा की आखिकार लम्बे समय से चल रहे है इस बात को आखिकार कब आम लोगों के लिए खोला जाएगा, यह एक सवाल अभी भी बना हुआ है।
कई वर्षों से हो रही थी खोलने की मांग
Siachin Glacier: पिछले कई सालों से इस स्थान को पर्यटन के स्थान को बनाने की मांग चल रही थी। आखिकार मोदी सरकार ने इस मांग तो मान लिया है। लोग देखना चाहते थे कि दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र आखिर दिखता कैसा है और सेना वहां कैसे अपने कार्यो का संचालन करती है। हाल ही में देश के रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह ने अपने एलन में कहा कि “ सियाचिन ग्लेशियर को पर्यटकों के लिए खोला जाएगा“। सियाचिन के बेस कैंप से लेकर कुमार पोस्ट के बीच के 60 किलोमीटर के क्षेत्र में पर्यटकों को जाने की इजाजत मिलेगी।
सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र
Siachin Glacier: बता दें की लद्दाख आने वाले नागरिक सेना से लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें टाइगर हिल और उन स्थानों तक जाने की अनुमति दी जाए, जहां पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा था। हालांकि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है जो लद्दाख का हिस्सा है। आपको जानकार हैरानी होगा की यहां पर करीब लाखों सनिक हर समय मौजूद रहते है. जवान कड़ाके की सर्दी के बावजूद यहां सालभर तैनात रहते हैं।
अभी कहां तक पहुंच पाते थे पर्यटक
Siachin Glacier: मौजूदा समय में पर्यटकों को कारगिल में केवल नुब्रा घाटी तक ही जाने की अनुमति दी गई है। यह जगह सियाचिन ग्लेशियर का प्रवेश द्वार है। हालाँकि नुब्रा घाटी सियाचिन के बेस कैंप और आर्मी बैटल स्कूल से काफी ज्यादा दूरी पर है। मिली जानकारी के अनुसार अगर यह आदेश लागू हो जाता है कि पर्यटकों के छोटे-छोटे बैच बनाकर उन्हें सियाचिन भेजा जा सकता है। 2010 तक यहां आम नागरिकों के आने पर भी मनाही थी। हालांकि, पर्यटकों को पहले भी ग्लेशियर जाने की अनुमति मिली है।
सियाचिन में मौजूदा हालात कैसे है ?
- साल 2003 में युद्ध खत्लाम होने के बाद सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र था।
- यहां पर तोपें तैनात रहती थीं।
- पाकिस्तान की ओर से आए दिन हमला किया जाता था, जिसके कार्रवाई में भारत जवाबी हमला करता था।
- लेकिन आज तोपे शांत हो गईं हैं।
- वर्तमान में साल्तोरो पर्वतमाला पर 23000 फीट की ऊंचाई पर सेना की चौकसी बरकरार है।