केंद्र में है भाजपा सरकार। देश में दूसरी बार अपनी सत्ता बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी। देश में दूसरी बार प्रधानमंत्री के सर्वोच्च पद को संभाल रहे हैं – नरेंद्र दामोदरदास मोदी। वहीं, पार्टी की कमान संभाल रहे हैं अमित शाह। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की दोस्ती की दाद तो देश-दुनिया में गयी जाती है। इन दोनों प्रमुख नेताओं की दोस्ती सालों पुरानी है।
इनकी दोस्ती शुरू हुई थी साल 1986 में एक मुलाक़ात में। इन दोनों के बीच यह मुलाक़ात, औपचारिक मुलाकात थी। साल 2014 में केंद्र में अपनी सरकार बनाने से पहले, यह दोनों नेता गुजरात में पहले अपनी सरकार बना चुके हैं। गुजरात में 15 साल तक बेहतरीन काम करने पर ही इन्हें भाजपा की कमान सौंपी गई। संगठन में उम्दा काम करने वाले थे अमित शाह और जनता को समझना और उनके लिए काम करना और सरकार प्रबंधन जैसे कामों में नरेंद्र मोदी को महारत हासिल थी। शायद यही एक वजह रही है, जिससे उन्होंने अपनी दोस्ती और काम को जनता के सामने पेश किया।
इतने सालों की दोस्ती का राज राजनीती में आने वाले उतार चढ़ाव का कारण भी है। राजनीति में आयी परेशानियों में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ा। साल 1984 में नरेंद्र मोदी को गुजरात के अहमदाबाद का प्रचारक बनाया गया था। उस समय अमित शाह भाजपा के एक कार्यकर्त्ता थे। इसके बाद दोनों में दोस्ती हुई और दोनों एक दूसरे को समझने और सलाहकार बने। साल 2001 मोदी ने गुजरात में राजनितिक पारी शुरू की। वह गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए। अमित शाह को कैबिनेट के 17 महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिए गए थे। साल 2003 में नरेंद्र मोदी ने फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाला, तो उन्होंने अमित शाह को राज्य मंत्रिमंडल में जगह दी और गृह मंत्रालय उनके हाथ में दे दिया।
साल 2010 में सोहराबुद्दीन मामले में शाह का नाम सामने आया तो नरेंद्र मोदी ने उनके काँधे पर हाथ रखा था। उस मामले में अमित शाह को जेल हुई थी, नरेंद्र मोदी ने उनके परिवार का साथ दिया। फिर मोदी और शाह की दोस्ती दिखाई दी थी साल 2014 में बनी केंद्र सरकार में। सरकार के हर महत्वपूर्ण फैसले के पीछे हाथ इन दोनों नेताओं का था। भले ही यह दोनों नेता एक साथ कम ही नज़र आते हो या कम ही मिल पाते हों लेकिन दोनों जब भी मिलते हैं तो गर्मजोशी के साथ ही मिलते हैं।