इस साल देश ने 15 अगस्त को अपना 73वा स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया। हर बार की तरह लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र ध्वज फहराया। छोटे-छोटे स्कूली बच्चे फेंसी ड्रेस पहन कर स्कूल के प्रोग्राम में नाचते-गाते दिखे।और प्रोग्राम के बाद मिलने वाला लड्डू। वाह ! सड़कों पर राष्ट्रीय ध्वज 100-200-500-1000 रुपए में बेचा जा रहा था। हर बार की तरह देश के भविष्य कहलाने वाले युवाओं ने सोशल मीडिया पर एक दूसरे को देशभक्ति के मेसेज भेज कर अपना काम पूरा किया। वैसे तो हमारे देश में भले ही कितनी कमियां हो लेकिन कुछ तो है जो हमें भारतीय होने में गर्व दिलाती हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में :-
देश में हिन्दू घाटी सभ्यता या कहें हड़प्पा सभ्यता, आज भी देश-विदेश में प्रचलित हैं। हमारे देश में भले ही अलग-अलग तरह की सभ्यता क्यों न हो लेकिन इस देश में सब कुछ एक है। तभी तो यहाँ के लोगों में ‘एकता’ देखने को मिलती है। हमारे भारत में कई धर्म हैं, कई भाषाएँ हैं, कई राज्य हैं, और कई तरह के लोग हैं। इसी तरह यह कई तरह की संस्कृतियों का वह मिश्रण है जिनसे कोई भी भारतीय नागरिक दुर नहीं रह सकता। इसके कारण ही तो हमें हमारी संस्कृति के लिए भी विदेशों में जाना जाता है। इसके साथ भारतीय सभ्यता में बड़ों के पैर छूना, बड़ों को नमस्ते कहना, उपवास रखना, अतिथि देवो भवः का भाव रखना आदि भी शामिल हैं। अगर हम धर्मों की बात करें तो हिन्दू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म, का जन्म भारत में ही हुआ है। और इन धर्मों के लोग आपको भारत के हर क्षेत्र में मिल जाएंगे। इसके साथ हमारे देश में भगवान का पूजन करना तो सभी को पसंद है। फिर चाहे माँ गंगा की आरती क्यों न हो या फिर कृष्ण जन्म का उत्सव यह सब हमारी सभ्यता को दर्शाता है।
अनेक भाषी हैं इस देश में
यूँ तो देश में हिंदी के बाद अंग्रेजी ही सबसे ज़्यादा बोले जाने वाली भाषा है। भारत में कई लोग हैं तो उनकी भाषा भी कई तरह की होंगी। गुजराती, मराठी, मैथिली, बंगाली, भोजपुरी, मलयाली, कन्नड़, हरयाणवी, आदि यह वह भाषाएं हैं जो कि सभी को मालुम हैं। लेकिन क्या आपको मालुम है कि इनसे भी अलग होती हैं भाषाएँ। कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही भाषा बदल जाती है। यूँ तो हिंदी को हमारे देश की मातृभाषा कहा जाता है। लेकिन लोग उस भाषा को ज़्यादा बोलते हैं जो कि उनकी मूल स्थान की हो। लेकिन देश में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है। ऐसे में कई तरह का स्वादिष्ट भोजन भी आपको हर जगह मिल जाएगा।
त्यौहारों में छटा बिखेरता है यह देश
भारत को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है। कई धर्म हैं तो उनके कई त्यौहार। हर त्यौहार की अपनी अलग ही पहचान है, अलग ही रूचि है। हर त्यौहार को मनाने का तरीका भी अलग है। भारत के हर हिस्से में इन त्योहारों को धूम धाम से मनाया जाता है। इन त्यौहारों में लोग आपस में मिल-जुलकर हर्षोल्लास से मनाते हैं। फिर चाहे दिवाली या होली हो, या फिर ओनम या पोंगल, सब तरह के त्यौहारों की गिनती आसानी से कोई भी कर सकता है। दिवाली पर हर घर दिये से रोशन होता है और होली पर कोई भी रंगों से दूर नहीं होता। यहाँ तक की पश्चिमी त्यौहार भी भारतीय त्यौहारों की तरह यहाँ धूम-धाम से मनाये जाते हैं। भारतीय त्योहारों का पूजन, वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन सब कुछ फेमस है।
आधुनिक तकनीकों से फल-फूल रहा है देश
दिन प्रतिदिन, साल दरसाल, देश विभिन्न तकनीकों वाला देश बनता जा रहा है। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ रहे बच्चे ही ऐसी ऐसी चीज़ों का निर्माण कर रहे हैं। उनका कोई जवाब ही नहीं। उनकी मेहनत रंग भी लाती है और वह लोग अपने माँ-बाप या शहर ही नहीं पुरे देश का नाम रोशन करते हैं। आपने चंद्रयान-2 के बारे में तो सुना ही होगा। इसरो द्वारा भेजा गया यह यान इसलिए चर्चा में आया क्योंकि वह चाँद के उस एरिया में पहुंचा जहाँ तक अभी कोई नहीं पहुंचा।अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें को भी हम सभी पहचानते हैं। यह भारत के लिए गर्व की बात थी। और इसरो का एक महत्वपूर्ण कदम। देश की हर परशानी को दूर करने का हल हम खुद से अपना लेते हैं।
सैलानियों की पहली पसंद है भारत
अगर हम सैर-सपाटे की बात करें तो भारत में घूमने फिरने की जगह कम नहीं हैं। फिर चाहे, जम्मू-कश्मीर हो या पॉन्डिचेरी। आपको खुला आसमान और खूबसूरत वादियां आराम से मिल जायेंगी। हमारे देश की खूबसूरत जगहों को घूमने या देखने के लिए देश-विदेश के लोग आते हैं। क्योंकि उन्हें यहाँ की संस्कृति और सभ्यता बेहद पसंद हैं। समय-समय पर होने वाले त्योहारों के दौरान देश में टूरिज्म बढ़ जाता है। और इन त्योहारों में होने वाली तैयारियों को देखकर विदेशी लोग बड़े खुश होते हैं। त्योहारों में होने वाले रंगारंग कार्यक्रम में उन्हें भाग लेना बहुत पसंद है। ऐसे में अगर हम भारतीयता पर गर्व न करें। क्या ऐसा हो सकता है। बिलकुल नहीं। हमारे देश की मिटटी है ही कुछ ऐसी जो हमें हमेशा कुछ न कुछ देती रहती है। फिर चाहे प्यार हो या सम्मान।