Kartarpur corridor:- जब-जब देश में धर्म के बारे में बात की जाती है, तो सभी लोगों के भाव बदल जाते हैं। हर कोई सारे सुख-दुःख भूल कर श्रद्धा-भाव से हर मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे-गिरिजाघर में सर झुका जाता है। अपने मन की सारी बातें, सारी मन्नतें भगवान के आगे कह जाते हैं।
हाल ही में, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर का उदघाटन किया। इस मौके पर, प्रधानमंत्री ने गुरु नानकदेव जी के 550 प्रकाशोत्सव के मौके पर 550 रुपए का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए काफी राजनीती खेली गई। पाकिस्तान और भारत के बिच में पहले से ही सम्बन्ध ठीक नहीं हैं। ऐसे में, दिक्कतें बहुत सी आईं थी।
करतारपुर कॉरिडोर के उदघाटन के समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बहुत खुश दिखाई दिए। इस उद्धघाटन के समय उन्होंने सर पर भगवा रंग की पगड़ी पहनी हुई थी। उन्होंने कहा, गुरुनानक देव जी के 550 प्रकाशोत्सव से पहले ही करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होना ही बहुत बड़ी बात है।
पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर और पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहब को जोड़ने के लिए बनाया गया है। यह कॉरिडोर, पाकिस्तान कॉरिडोर का निर्माण भारतीय सीमा से लेकर गुरुद्वारा दरबार साहिब तक और भारत द्वारा कॉरिडोर का निर्माण गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक से सीमा तक बनाया गया है।
इस कॉरिडोर को बनाने के लिए दोनों देशों की सरकार ने अपनी-अपनी तरफ से फंड दिया है। दोनों देशों के बिच में 4.6 किलोमीटर की दुरी है।
इसके साथ, दोनों देशों से आने वाले क्षद्धालु वीज़ा के लिए परेशान नहीं होंगे। क्योंकि, इस यात्रा के लिए किसी भी तरह का वीज़ा नहीं लेना होगा। एक दिन में, करीब 5 हज़ार यात्री यात्रा कर सकेंगे। अभी यहाँ एक अस्थायी पूल है, लेकिन कुछ साल में यहाँ पर एक स्थाई पूल बन जाएगा।
सुनिए! थोड़ा संभाल कर ट्रैक पार करियेगा, वरना ‘यमराज’ आजायेंगे
इस यात्रा पर जाने की फीस 20 डॉलर है, यानी 1400 रुपए। लेकिन, जो लोग 9 और 12 नवंबर को इस यात्रा पर जायेंगे, उन्हें कोई भी फीस नहीं देनी होगी। इस यात्रा पर जाने के लिए यात्रियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, इसके लिए बस वैध पहचान पात्र की जरुरत है। रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको एक नोटिफिकेशन मिलेगा।
Kartarpur corridor:- कहा जाता है, साल 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी, करतारपुर आए थे। अपनी ज़िन्दगी के आखिरी 18 साल यहाँ बिताए थे। इसके साथ, जिस जगह गुरु नानक देव का देहावसान हुआ था, उस जगह भी गुरुद्वारा बनाया गया था।