Population Control: भारत की चुनौतियों वाली लिस्ट में शामिल है।

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Population Control

Population Control – देश बहुत तेजी से बढ़ रहा है। तकनीकी तौर पर भी, शिक्षा के वर्ग में भी, नौकरी के अवसर भी, महिलाओं के प्रति शिक्षा में भी, और देश की अच्छी इकोनॉमी में भी। चलिए, पिछली लाइन पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन इस बात को कोई गलत नहीं कह सकता कि देश बढ़ रहा है। इसके साथ देश की जनसँख्या यानी Population भी तेज़ी से बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। हँसता खेलता परिवार कौन नहीं चाहता। एक सुखी परिवार के साथ बीतता जीवन कौन नहीं चाहेगा।

Population Control: देश में जनसँख्या वृद्धि के मुद्दे को कई बार उठाया गया है, कभी किसी बैठक में बैठे कुछ सज्जनों की चाय पर गुफ्तगू के लिए चर्चा का विषय बन जाता है। कभी कोई नेता इन मुद्दों को आने वाले चुनावों की होने वाली रैलियों में भाषण के लिए इस्तेमाल में ले लिया जाता है। तो कभी स्कूली बच्चों के लिए टीचर द्वारा दिया गया, निबंध का टॉपिक।

Population Control: देश में जनसँख्या वृद्धि के मुद्दे पर इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन भी अपने भाषण में बात की थी। उन्होंने इस विषय की चिंता व्यक्त की थी और यह कहा था कि इस मुद्दे पर जल्द ही काम किया जाएगा। इससे पहले, बजट सत्र में भी किसी संसद सदस्य ने जनसंख्या नियंत्रण करने की भी बात कही थी। इसके लिए जनसँख्या नियंत्रण विधेयक, 2019 राजयसभा में पेश किया गया। यह एक निजी विधेयक था तो यह संसद में पारित नहीं किया जा सका था। लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सम्बोधन के बाद इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की गयी थी।

इस विधेयक में दो बच्चों के जन्म का प्रावधान दिया गया था। इस विधेयक के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले जनप्रतिनिधि को अयोग्य निर्धारित किया जाएगा। इसके साथ सरकारी कर्मचारियों को दो बच्चों से अधिक बच्चा पैदा न करने के लिए एक शपथ पत्र भी देना होगा। बहरहाल, ऐसे कर्मचारी जिनके पहले से ही दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें इस प्रावधान से बख्शा जाएगा। अब नागरिकों को दो बच्चों की नीति को स्वीकारने के लिए प्रोत्साहन करना या समझाना थोड़ा मुश्किल होगा।

जब साल 2018-19 का आर्थिक सर्वेक्षण किया गया तो उसमें दिया गया था कि भारत में पिछले कुछ दशकों में जनसँख्या में वृद्धि कम देखी गई है। अगर देखा जाए, तो साल 1971-81 के मध्य वार्षिक वृद्धि दर पहले 2.5 प्रतिशत थी, अब साल 2011-16 में कम होकर 1.3 प्रतिशत पर आ गई है। देश के बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों की ऐतिहासिक वृद्धि दर ज़्यादा देखी गई हैं। वहीं, दक्षिण भार के प्रमुख राज्यों और पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिसा, असम तथा हिमाचल प्रदेश में वृद्धि दर एक प्रतिशत से कम हुआ है। सर्वे के अनुसार, आने वाले दो दशकों में भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में ज़्यादा गिरावट देखने को मिलेगी।

क्या है जनसांख्यिकीय लाभांश ? मौजूदा समय में देखा जाए, तो सारे विश्व में भारत की जनसँख्या में युवाओं की गिनती ज़्यादा है। लेकिन, अगर हम इसी आबादी को भारत की अर्थव्यवस्था में लगाएं तो देश की उन्नति होने को कोई नहीं रोक सकता है। देश की बढ़ती आबादी के बाद यही कहा जा सकता है, कि देश के पास युवा वर्ग तो है लेकिन उसके लिए रोजगार नहीं।

Population Control: अगर देश में जनसँख्या के हालात यूँ ही बढ़ते रहे तो एक समय यह भी आएगा की भारत इस मामले में चीन को पछाड़ देगा। इस समय देश सबसे भीषण रूप को झेल रहा है। फिलहाल, चीन इस समय हमसे आगे है। भारत की जनसँख्या 1.3 अरब और चीन की 1.4 अरब है। लेकिन दोनों देशों के क्षेत्र में कोई बड़ा बदलाव नहीं है। साल 2030 में भारत की आबादी करीब 1.5 अरब होगी और कई दशकों तक बढ़ती नज़र आएगी। साल 2050 में यह 1.66 अरब तक पहुँच सकती है। लेकिन, चीन की जनसँख्या धीरे-धीरे कम होने लगी हैं।

इस समस्या के कुछ उपाय, अगर विवाह की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ देश में शिक्षा का लेवल भी बढ़ाया जाये। लोगों को इस बढ़ती समस्या के ऊपर जागरूक किया जाए कि यह कितनी खतरनाक है।

देश में अनाथ बच्चों की संख्या अधिक है, ऐसे में जिन परिवारों में संतान नहीं है तो वह लोग किसी न किसी अनाथ बच्चे को गोद ले सकते हैं। इससे न सिर्फ अनाथ बच्चों को माँ-बाप, बल्कि संतान न पाने वाले माँ-बाप को संतान सुख मिल पायेगा।

हमारे देश में माँ बाप बच्चों को बुढ़ापे का सहारा समझते हैं। उन्हें मालुम है कि जब हम अपनी-अपनी ज़िन्दगी जी लेंगे तो बच्चे ही हमें सभी प्रकार के सुख दे सकते हैं। लेकिन, आज यूँही नहीं वृद्धआश्रम की मांग बढ़ती जा रही है। बूढ़े माँ-बाप वृद्धाश्रम में जाने से अब कतराने नहीं लगते। देश में जनसँख्या वृद्धि सबसे ज़्यादा ग्रामीण इलाकों में देखी गयी है, इसका मुख्य कारण यही है कि वहां परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता है ही नहीं। ऐसे में, उन्हें अगर इस मुद्दे के बारे में बताया जाए तो वह समझ भी सकें। सरकार अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करती तो है, लेकिन इस चीज़ में सफलता दूर-दूर तक नहीं देखी जा सकती।

Population Control: साल 2011 में हुई, जनगणना के हिसाब से भारत की आबादी 121 करोड़ थी। जिसके अनुमान लगाने के बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि वर्तमान में यह संख्या 130 करोड़ को पार कर चुकी है, ऐसे में साल 2030 तक भारत की आबादी चीन की आबादी को भी पार कर देगी। बढ़ती जनसँख्या को देखते हुए सरकार के पास इतनी संसाधनों और उनके लिए सभी चीज़ों की आपूर्ति करना थोड़ा मुश्किल होगा। भारत देश चीन से बेहद अलग है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ हर व्यक्ति को अपने लिए खुद फैसले लेने का अधिकार है। ऐसे में, देश में कानून का सहारा लिए बिना ही, सिर्फ जागरूकता और शिक्षा की मदद से ही लोगों को समझाया जा सकता है। परिवार नियोजन से जुड़े परिवारों को भी समझना और समझाना होगा। इसके साथ देश में समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम किए जाने चाहिए जिससे उन्हें समारोहों के माध्यम से परिवार को किस तरह संभालना चाहिए?, यह बात समझायी जा सके।