सुप्रीम कोर्ट ने इन तीन मामलों के लिए कही यह बात, ‘सार्वजनिक टिप्पणी’,’रफाल डील’ और ‘सबरीमाला मंदिर’

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Supreme court

Supreme court mein teen maamle:- chowkidaar chor hai – यह बात सबसे पहले कही थी, राहुल गाँधी ने। इस बात का खूब बवाल मचा। इस बात के कहने पर राहुल गाँधी के ऊपर मानहानि का केस भी चला। गुरूवार को इस मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी को कहा कि वह किसी भी तरह की सार्वजानिक टिप्पणी करते समय थोड़ी सावधानी बरतें। खैर बात तो सही है। इस मामले को देख रहे थे सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ। उनके साथ मौजूद थीं भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी। असल में, भाजपा की जानी-मानी नेता मिनाक्षी लेखी ने ही याचिका दायर की थी।

Supreme court mein teen maamle:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सार्वजानिक टिप्पणी करने के बाद राहुल गाँधी ने माफ़ी मांग ली है। जब इस मामले का फैसला लिखा जा रहा था तो जस्टिस कौल ने कहा, कोर्ट को राजनीति से जुड़े मामलों में घसीटा जा रहा है।

रफाल डील में यह कहा गया

पिछले साल, 14 दिसंबर को कोर्ट ने राफेल मामले में फैसला दिया था, इस फैसले के खिलाफ एक पुर्नविचार याचिका डाली गयी। इस याचिका की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस सार्वजानिक टिप्पणी वाले मुद्दे को बंद कर दिया था।

Supreme court mein teen maamle

रफाल मामले में पुर्नविचार मामले की सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा लाई गयी गोपनीय दस्तावेजों से सम्बंधित आपत्तियों को खारिज कर दिया। बहरहाल, कोर्ट ने सभी दलीलों को सुन कर केस ख़ारिज कर दिया था।

सबरीमाला मामले में हुई यह चर्चा

Supreme court mein teen maamle:- इसके साथ, पिछले साल ही कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश करने वाला हक़ सुनिश्चित किया। लेकिन, इस फैसले में भी कई लोगों ने पुर्नविचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी थीं।

गुरूवार को सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस इन्दु मल्होत्रा ने एक साथ फैसला लिया। उन्होंने कहा, सबरीमाला, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और दौड़ी बोहरा समुदाय में महिलाओं में खतना जैसे धार्मिक मुद्दों पर फैसला बड़ी पीठ लेगी।

Supreme court mein teen maamle:- सीजेआई ने कहा, कोर्ट को ऐसे मामलों के लिए एक अलग से एक सामान नीति बनानी होगी। ऐसे धार्मिक मुद्दों पर, पुर्नविचार करना चाहिए। फैसल यह फैसला 3:2 से सुनाया गया। बहरहाल, इस मामले में जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय बिलकुल अलग थी।

अगर शादी का कार्ड ऐसा हो तो, कोई भी हँस-हँस कर पागल हो जाए

सबरीमाला मंदिर प्रबंधन का सुप्रीम कोर्ट से यह कहना है कि 10 से 50 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि मासिक धर्म के समय वे शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं।