Supreme Court : केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, छात्रों को मिलेगी सुरक्षा

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दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा क्लासों में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरों के निर्णय पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया। करीब 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के रुप में याचिका दायर की गई थी। याचिका दायर करने वाले नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी के छात्र अंबर हैं। इस याचिका में दिल्ली सरकार के इस निर्णय को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कहा। जिसके बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कदम उठाया।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की पुरी तैयारी है, इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी कर ली गई है। जो कंपनी कम राशि में टेंडर डालेंगे उसका भी नाम भी लगभग तय कर लिया गया है। इस आइडिया पर काम करने के लिए तीन कंपनियों, भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, टाटा ग्रुप की तासे और टैक्नोसिस सिक्योरिटी लिमिटेड आगे आई हैं।

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 18 सितंबर को टैक्नोसिस सिक्योरिटी कंपनी के लिए हांमी भर दी गई थी। यह कंपनी ने उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में शुरु हुए स्मार्ट सिटी की योजनाओं में कैमरे लगाने का काम संभाल चुकी है।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली के 1028 सरकारी स्कूलों में सरकार 1 लाख 46 हजार 8 सौ सीसीटीवी कैमरे लगाएगी। छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर लगाए जाने वाले कैमरों की कीमत 597.51 करोड़ बताई जा रही है। जिनमें से कैमरे लगाने के लिए 384.85 करोड़ और अगले पाँच साल तक कैमरों की देखभाल के लिए 57.69 करोड़ की राशि भी इसी में जुड़ी हुई है। इंटरनेट कनेक्शन को लिए 154.97 करोड़ की धनसंख्या रखी गई है। कैमरे लगाने वाली इस परियोजना में बने मोबाईल ऐप के जरिए छात्रों के अभिभावक आसानी से अपने बच्चों को देख सकेंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस साल नवंबर तक सभी सरकारी स्कूलों में लग जाएंगे। उनकी कहना था कि इस परियोजना से अभिभावक स्कूलों में होने वाली गतिविधियों को आराम से देख सकेंगे। यदि स्कूल में उन्हें कोई गड़बड़ी लगती है तो वो सरकार से शिकायत कर सकते हैं। कैमरे में खराबी आने पर भी माता पिता सवाल उठा सकते हैं। इस योजना से जिन अध्यापकों पर कक्षा में न आने का आरोप लगता है, उन्हें भी सही या गलत साबित किया जा सकेगा।