सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में किया गए बदलाव, जानिए क्या है नए बदलाव

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RTI

सुचना का अधिकार नियम 2005 में लागू किया गया था। जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए सरकार ने कुछ नियम बनाये हैं। इस अधिकार को बनाने का मुख्य कारण सरकार और आम नागरिकता के बीच में पारदर्शिता लाना है। देश के सभी सरकारी विभाग, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, पुलिस, बिजली की कंपनियां, बैंक, स्कूल, हॉस्पिटलों, आदि सुचना के अधिकार अधिनियम एक्ट के अंदर आते हैं। इस अधिकार के द्वारा आप सरकार से किसी भी काम की जानकारी मांग सकते हैं। इस अधिकार के माध्यम से लोग अपनी रोजमर्रा की समस्याओं का हल कर लेते हैं, जैसे, सरकार ने सड़क बनाने के लिए कितने पैसे खर्च किये, सरकार की नयी नीतियों में क्या क्या काम हुआ, किसी का पद जानने, किसी की सैलरी जान सकते हैं। जिन चीज़ों पर सरकार रोक लगाती है वो ये हैं की सरकार की सुरक्षा से संभंधित कोई भी सवाल नहीं कर सकते।

कैसे करते हैं आवेदन…….

किसी भी जानकारी को पाने के लिए आपको सरकारी विभाग में आवेदन करना होता है। हर सरकारी विभाग में जन सुचना अधिकारी होता है, जिसका काम आरटीआई 2005 में आये आवेदनों की जांच पड़ताल करना और उनका जवाब देना है। आवेदन पत्र इंटरनेट पर भी उपलब्ध हो जाता है, या फिर आप एक सफ़ेद कागज़ पर अपनी बात लिख सकते हैं। जानकारी प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपनी बात को किसी भी भाषा में लिख सकता है। आवेदन करने के बाद आप उसकी प्रतिलिपि के साथ साथ आप जान सुचना अधिकारी से इसकी रिसीविंग भी ले सकते हैं। https://rtionline.gov.in/ इसके लिए आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन डालने के ३० दिन के अंदर ही जान सूचना अधिकारी को इसका जवाब देना होता है। काफी मामलो में 14 दिन के अंदर जवाब देना होता है, यदि वह अतिआवश्यक सुचना है।

क्या बदलाव हुए हैं……

आरटीआई एक्ट के अनुसार केंद्र और राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल होता है, लेकिन अब केंद्र सरकार, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और कार्यसीमा को तय कर सकता है। और तो और उनके वेतन और सेवा से संबंधित काम हज भी केंद्र सरकार का हाथ रहेगा।

वहीँ विपक्ष इस बात पर हामी नहीं कर रहा है। विपक्ष का कहना है की ऐसा करने से केंद्र सरकार सूचना अधिकारियों से उनका हक़ छीन रही है। इससे पहले सरकार का सुचना विभाग से कोई हस्तक्षेप नहीं था, लेकिन इस तरह के संशोधन करने से सरकार उनकी कार्य प्रणाली पर कण्ट्रोल कर सकती है।

अब देखना यह होगा कि क्या केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया यह संशोधन बिल सही है या गलत।