जब मन में कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो कोई भी जीत हासिल करना मुश्किल नहीं, आसान होता है। अपनी जिद्द के आगे हिमालय भी छोटा लगने लगता है। अपनी कमजोरियों को लोग अपना बल बना लेते हैं। और उसी के दम से हर मैदान फ़तह कर लेते हैं। इक्कीसवीं सदी की नारी अब किसी के आगे झुकने और रुकने वालों में से कहाँ हैं। यह नारी धरती के साथ साथ आकाश में भी अपना नाम लिखना बहुत अच्छे से जानती है। गृहस्थी के साथ साथ यह बड़ी बड़ी कंपनियां भी चलती हैं। और कभी न थकने वाली महिला का रूप भी ले लेती हैं। अब कढ़ाई-बुनाई नहीं अंतरिक्ष यान को भी बनाना जानती हैं। पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी स्वर्ण पदक लाने लगी हैं।
अंग्रेजी में एक कहावत भी क्या खूब कहती है – Where is a will, There’s a way. यानी जहाँ चाह,वहां राह। किसी भी चीज़ को हासिल करने का मन बना लिया जाए, तो रास्ते अपने आप बनने लगते हैं।
रविवार का दिन देश के लिए बहुत बड़ा रहा। देश की एक और बेटी गोल्ड घर लायी है। जो सपना उसने देश के लिए देखा था, अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम से पूरा कर दिखाया। यह जीत थी बीडब्लूएफ बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतने की। ये मैडल लाने वाली पी.वी. सिंधु, पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। इस जीत को हासिल करने के बाद सिंधु की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। देश भर से पी. वी. सिंधु के लिए देश भर से जीत की बधाइयाँ आने लगी हैं।
रविवार को बीडब्लूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 के फाइनल मैच में जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराया। मैच का स्कोर रहा 21-7, 21-7 का। दोनों के बीच में यह मुकाबला 38 मिनट का चला। इसी के साथ सिंधु ने अपना रिकॉर्ड 9-7 का बना लिया।
इससे पहले साल 2017 में सिंधु को जापान की ओकुहारा से हार गयी थी। अब इस जीत को हासिल करने के बाद लोग यही कह रहे हैं कि सिंधु ने ओकुहारा से साल 2017 की चैंपियनशिप का बदला लिया है।
पी.वी सिंधु ने अपने करियर में कई पदक जीते हैं। साल 2017 और 2018 में सिंधु ने रजत पदक और साल 2013 और 2014 में उन्होंने कांस्य पदक जीते।रविवार को खेले जा रहे मैच के शुरुआती गेम में बेहतरीन खेल खेला और 5-1 से आगे बढ़ गई। इसके बाद वह 12-2 से आगे चली गईं। सिंधु ने 16-2 की लीड ली और 21-7 के स्कोर से गेम जीत लिया। पहले गेम को जीतने में उन्होंने मात्र 16 मिनट लिए।
फिर, सिंधु ने दूसरे गेम में 2-0 से शुरुआत कर 8-2 की लीड बना ली थी। इसके बाद उन्होंने अपने खेल को आक्रामक खेल बनाया और इसी तरीके से स्कोर अपने नाम कर लिए। सिंधु ने इस दूसरे मैच में 14-4 की स्कोरिंग के साथ लगातार बाजी अपने नाम करती हुई 21-7 से मैच जीत स्वर्ण पदक को अपने हिस्से ले लिए।
इसी के साथ वो नेशनल के साथ साथ इंटरनेशनल खिलाड़ी भी बन गईं।