GANESHA CHATURTHI पर कैसे और किस समय करें सम्रद्धि के देवता की पूजा ? कैसे बनायें घर में ही गणेश मूर्ति

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GANESHA CHATURTHI

“गणपति बप्पा मोरया, मंगळमूर्ती मोरया, पुढ़च्यावर्षी लवकरया” अर्थात हे मंगलकारी पिता, अगली बार और जल्दी आना। शिवपुत्र, गौरीनंदन, गणनायक, गजानन, लम्बोदर, गणपति, मंगलमूर्ति आदि नामों से पूजे जाने वाले भगवान गणेश की महिमा का गुणगान हर कोई करता है। सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश हर कार्य का श्री गणेश करते हैं। अपने वाहन मूषक और अति प्रिय मोदक को वो कभी भी नहीं भूलते। अपने माता-पिता की हर आज्ञा का पालन करने वाले श्री गणेश का भव्य जन्म महोत्सव आ चूका है। भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के समय में युधिष्ठर को विघ्नहर्ता की महत्वता बताई थी। गौरी पुत्र गणेश की पूजा के प्रभाव से भी पांडवों ने कौरवों पर विजय पायी थी। काफी लोग भगवान गणेश की स्थापना एक दिन, तीन दिन, पाँच दिन, सात दिन, नौ दिन और ग्यारह दिन रखते हैं। वैसे यह त्यौहार 11 दिन का होता है।

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कब हुआ था भगवान गणेश का जन्म ?

भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था। कहते हैं कि भगवान गणेश का जन्म मध्य काल में हुआ था। अनंत चतुर्दर्शी के ठीक दस दिन बाद गणेश विसर्जन के बाद समाप्त हो जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने ‘गणपति बाप्पा मोरया’ को नाम आँखों से विदा देते हैं, और प्रार्थना करते हैं की अगले साल आप फिर से आना।

कहते हैं कि भगवान गणेश का जन्म मध्यकाल के समय हुआ था। इसीलिए मध्यान्ह में ही गणेश पूजा की अत्याधिक माना जाता है। गणेश स्थापन और गणेश पूजा दिन के मध्य भाग में करनी चाहिए।

इस दिन भक्त गणेश जी का श्रृंगार करते हैं, उन्हें सुन्दर सुन्दर वस्त्र पहनाते हैं। विधिवत पूजन कर भगवान गणेश को स्थापित किया जाता है। मध्यान्ह काल में पुरे विधि विधान के साथ गणेश पूजन किया जाता है। भगवान गणेश के लिए भजन किये जाते हैं। मंत्रोच्चार किये जाते हैं।

इस दिन स्नान आदि करके नए कपडे पहने जाते हैं। पूजा करने के लिए अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ। फिर भगवान गणेश की स्थापना के लिए किसी लकड़ी के पटरे, गेहूं, मूंग ज्वार के ऊपर किसी लाल वस्त्र बिछा कर उन्हें स्थापित किया जाता है।

इस बार चर्चा में हैं ‘इकोफ्रैंडली गणेशा’

इस गणेशोत्सव में आप घर बैठे ही अपने लिए ‘इकोफ्रैंडली गणेशा’ बना सकते हैं। आपको चाहिए बस – थोड़ी सी काली मिट्टी, पानी, दाल, चावल के कुछ दाने और पेंसिल की छीलन। पहले मिट्टी में पानी डालकर हलके हाथों से सान लीजिये। फिर जब यह मिटटी थोड़ी सी सख्त होने लगे तो इसे शरीर के हिस्से बना लीजिये। अब इस गीली मिट्टी के दो गोले बनाएँ – एक छोटा और एक बड़ा। अब बड़े गोले के उप्पर छोटा गोला लगा कर उसे पेट और सर की तरह बना लें। आपने जो अंग बनाये थे, उन्हें उस आकृति में जोड़ लें। इस तरह से आप गणेश जी का मुँह, आँख, सूंड, कान, हाथ, पैर आदि अंग आराम से बना सकते हैं। हाथों से शेप दे कर अपने लिए सुंदर से गणेश जी बना लें। इकोफ्रैंडली गणेशा का विसर्जन आप अपने घर में ही कर सकते हैं। इसकी मिट्टी को आप घर में किसी पौधे में भी दाल सकते हैं, जो की खाद का काम करेगा।