बेबाक आवाज के लिए NDTV के पत्रकार रवीश कुमार को मिला 2019 का ‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार !

0
842
ravish-kumar-ramon-magsaysay-award

न्यूज़ की दुनिया में रविश कुमार का सिक्का चलता ही नहीं बल्कि दौड़ता भी है। पत्रकारिता जगत में अपनी अलग पहचान बना चुके है। रविश कुमार को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने के लोग जानते है। मौजूदा समय में वो एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर है। आपको बता दे की उनकी निडरता की वजह से उन्हें एक बार फिर सम्मानित किया गया है। इस बार उन्हें वर्ष 2019 के ‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तो चलिए जानते है आखिर इस अवार्ड का क्या महत्व है…

‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार क्या है?

Image result for रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे

रमन मैगसेसे पुरस्कार एशिया के उन व्यक्तियों या संस्थाओं को उनके अपने क्षेत्र में विशेष रूप से अलग कार्य करने के लिये दिया जाता है। आम भाषा में इसे एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। जानकारी के लिए बता दे यह रमन मैगसेसे पुरस्कार फाउन्डेशन द्वारा फ़िलीपीन्स के पूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की याद में दिया जाता है। फिलिपिन्स की सरकार की सहमति से वहाँ के पूर्व राष्ट्रपति रमन मैगसेसे की स्मृति में इस पुरस्कार की शुरुआत की गयी थी। इसका मकसद इतना ही था की आम जनता की साहसपूर्वक सेवा, लोकतांत्रिक समाज में व्यावहारिक आदर्शवादिता एवं निर्मल सरकारी चरित्र को बढ़ावा देने के लिए इस अवार्कीड को दिया जाए।

पत्रकारिता के लिए गौरव का दिन .

Image result for रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे

मिली जानकारी के मुताबिक आज के दिन फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे सम्मान प्रदान किया गया है। मतलब साफ़ है आज का दिन हिंदी पत्रकारिता के लिए ख़ुशी का दिन है। रविश कुमार ही वो पत्रकार है जो आम लोगो की आवाज को जनता के सामने रखा। पिछले काफी दिनों से एनडीटीवी में अलग-अलग भूमिकाओं में और अलग-अलग कार्यक्रमों के ज़रिए रवीश कुमार ने पत्रकारिता को एक नए मुकाम की और ले जाने में सफल रहे। रवीश की ग्रिराउंड रिपोर्पोट देश के लोगों के लिए सबसे मार्मिक टीवी पत्रकारिता का हिस्सा बन गया। इसी का नतीजा है की आज उन्हें एशिया का नोबेल पुरस्कार से समानित किया जा रहा है।

रवीश कुमार की वो बाते जो अवार्ड लेने के बाद…

Image result for रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे
  • जब से रमोन मैगसेसे पुरस्कार की घोषणा हुई है मेरे आस पास की दुनिया बदल गई है।
  • आमतौर पर पुरस्कार के दिन देने वाले और लेने वाले मिलते हैं और फिर दोनों कभी नहीं मिलते हैं. आपके यहां ऐसा नहीं है।
  • भारत का मीडिया संकट में है और यह संकट ढांचागत है।
  • फ्रीलांस पत्रकारिता से ही जीवनयापन कर रही कई महिला पत्रकार अपनी आवाज़ उठा रही हैं।

इन भारतीयों को मिल चुका है सम्मान

  • विनोभा भावे (1958)
  • मदर टेरेसा (1962),
  • जयप्रकाश नारायण (1965),
  • सत्यजीत रे (1967),
  • चंदी प्रसाद भट्ट (1982),
  • अरुण शौरी (1982),
  • किरन बेदी (1994),
  • अरविंद केजरीवाल (2006),
  • पी साईनाथ (2007)