Green Crackers – सुप्रीम कोर्ट का आदेश रहेगा जारी, अब दिल्ली में आसानी से उपलब्ध होंगे यह पटाखे

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Green Crackers – सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में दिए गए आदेश के बाद से दिल्ली में पटाखों की बिक्री बैन कर दी गयी थी। पर अब खबर आ रही है कि दिवाली में दिल्ली वासियों को और किसी राज्य से पटाखे नहीं लेने पड़ेंगे। इसका कारण यह है कि अब केंद्रीय प्रदुषण कण्ट्रोल बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइन्स और मानक बनाये हैं। इनमें दिया गया है कि अब ग्रीन पटाखे अब दिल्ली में ही उपलब्ध हो सकेंगे।

Green Crackers को बनाने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ने पटाखा निर्माता कंपनियों के सहित 230 एमओयू किये हैं। शनिवार को हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय विज्ञान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यह बात जारी की। इस लिस्ट में ग्रीन पटाखे, सीएसआईआर और नीरी ने साथ में रिसर्च कर ही लिखे हैं। इन पटाखों का परिक्षण पर्यावरण मंत्रालय के साथ शिवगंगा, तमिलनाडु में भी किया गया था।

माना जा रहा है कि ग्रीन पटाखों से होने वाले प्रदुषण में पोटैशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से तीस से चालीस फीसदी कमी आ सकती है।

माना जा रहा है कि ग्रीन पटाखों से होने वाले प्रदुषण में पोटैशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से तीस से चालीस फीसदी कमी आ सकती है। इसके साथ इन ग्रीन पटाखों पर ग्रीन लेबल और क्यूआर कोडिंग भी की गई है। जिससे इन पटाखों को दूसरे परंपरागत पटाखों से अलग पहचान हो सके। सरकार इन पटाखों की सहमति इसीलिए भी दे रही है क्योंकि इनमें बोरियम नाइट्रेट का प्रयोग कम किया गया है। ताकि और प्रदुषण न पैदा हो।

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बनाने के लिए बोरियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर साल 2018 में रोक लगाईं थी। सरकार ने दावा किया है, इन पटाखों की कीमत पुराने पटाखों के जैसे ही होगी।

जानिए, ग्रीन क्रैकर्स (पटाखों) के बारे में…

Green Crackers को जलाने पर तेज़ आवाज़ और खूब रौशनी निकलती है। लेकिन इससे धुंआ कम होता है। इन पटाखों में एल्युमीनियम और बेरियम साल्ट का इस्तेमाल कम होता है। इन पटाखों में 35-40 प्रतिशत तक ही सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड रहता है। वहीं, बाकी पटाखों में इसकी मात्रा काफी कम रहती है। और इसी से धुंआ पैदा होता है।