SPG Security:- अब गांधी परिवार से छीनी गई यह सुरक्षा, केंद्र सरकार ने उठाया यह कदम

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SPG Security:- अब से गांधी परिवार एसपीजी की सुरक्षा के घेरे में नहीं रहेगा। इस सुरक्षा को हटाने का फैसला गृह मंत्रालय की तरफ से लिया गया है। गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को मिली एसपीजी सुरक्षा हटाई जायेगी।

अब गांधी परिवार से छीनी गई यह सुरक्षा

ऐसे में, गाँधी परिवार को जेड प्लस (Z+) सुरक्षा दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने सभी एजेंसियों के इनपुट के आधार पर यह फैसला लिया है। अभी कुछ ही दिनों पहले, केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिली सुरक्षा भी हटाई गई थी। अब, एसपीजी की सुरक्षा पाने वाले सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रह जाएंगे।

SPG Security:- यह सुनने के बाद, कांग्रेस और गाँधी परिवार ने इस फैसले पर जगजाहिर निंदा पेश की। कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने इस सन्दर्भ में कहा, अब केंद्र सरकार एसपीजी की सुरक्षा हटाकर गाँधी परिवार को बेवजह परेशान कर रही है। उन्होंने आगे कहा, गाँधी परिवार में दो लोगों की हत्या हो चुकी है, इसलिए यह सुरक्षा नहीं हटनी चाहिए।

क्या है एनएसजी सुरक्षा ?

SPG Security:- देश में कई एजेंसियां हैं, जो वीवीआईपी सिक्योरिटी का काम संभालती हैं। जिनमें से एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप फेमस है। इस एजेंसी की स्थापना इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद हुई थी। इस एजेंसी का काम है, देश के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा देना। इसके अलावा एसपीजी किसी और व्यक्ति को सुरक्षा मुहैया नहीं कराती। अन्य लोगों को सुरक्षा पुलिस देती है।

अब गांधी परिवार से छीनी गई यह सुरक्षा

एसपीजी का गठन, 1985 में हुआ था और साल 1988 में इससे जरुरी कानून संसद में पास हुए। इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री को यह सुरक्षा नहीं मिली थी। फिर, साल 1991 में जब राजीव गाँधी की मौत हुई तो, एसपीजी का संशोधन किया गया था। संशोधन में कहा गया, देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को और उनके परिवार को, अपने पद से हटने के ठीक 10 साल तक एसपीजी कवर मिलेगा।

SPG Security:- साल 2003 में एसपीजी कानून का फिर से संशोधन किया गया। इसमें कहा गया, प्रधानमंत्री पद को छोड़ने के ठीक एक साल बाद एसपीजी कवर नहीं मिलेगा। जब यह एसपीजी सुरक्षा मिलती है, तो कम से कम 55 जवानों की तैनाती की जाती है। जिनमें से 10 से ज़्यादा एनएसजी कमांडो का रहना जरुरी है। यह, जवानों की टीम पूरी तरह से ट्रैन होती है, किसी भी तरह की परेशानी या मुसीबत को झेलने के लिए। इन जवानों को 90 दिनों की कठिन ट्रेनिंग को पूरा करना होता है।

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