अब आरटीआई के दायरे में आएगा चीफ जस्टिस का दफ्तर, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की भरी हांमी

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CJI Office comes under RTI Bill

CJI Office comes under RTI Bill:- इस साल, आरटीआई बिल में संशोधन किया गया था। इस संशोधन से काफी लोग परेशान थे तो कई इसके समर्थन में खड़े थे। इस समय फिर से यह आरटीआई बिल सब के दिमाग की बत्ती जला रहा है।

प्रश्न है-सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का दफ्तर अब आरटीआई के दायरे में आएगा या नहीं। जवाब – सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सुचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है। सुप्रीम कोर्ट की एक संविधानिक पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 में आये फैसले को बरकरार करते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में आरटीआई लागू होगा।

CJI Office comes under RTI Bill:- सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अप्रैल में इस मामले की हुई सुनवाई के बाद इसके फैसले को सुरक्षित रख लिया था।असल में, जजों के कामकाज को लेकर आरटीआई के दायरे में आने के लिए सबसे बड़ी दलील रही है। इससे जनता में न्यायपालिका के लिए विश्वसनीयता बढ़ेगी और देश के बड़े सिस्टम में पारदर्शिता देखने को मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी करते हुए कहा था कि सुचना के अधिकार के तहत देश के सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का कामकाज सार्वजनिक दायरे में आना चाहिए। उन्होंने यह भी बात रखी थी,चीफ जस्टिस के अलावा सभी जज बेहतरीन काम करते हैं। लेकिन इसके बाद भी सभी चीज़ें सार्वजनिक होनी चाहिए।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में किया गए बदलाव, जानिए क्या है नए बदलाव

CJI Office comes under RTI Bill:- अब इस मामले को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सीजेआई पब्लिक अथॉरिटी के अंदर आने वाला पद है। इसके साथ, राइट टू इनफार्मेशन और राइट टू प्राइवेसी, एक ही सिक्के के दो अलग पहलु हैं। इस फैसले के पढ़ने के दौरान, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस जे. खन्ना, जस्टिस गुप्ता, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस रम्मना वाली पीठ शामिल थी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल-124 के तहत इस फैसले को लिया है।

क्या था आरटीआई बिल संशोधन 2019 ?

CJI Office comes under RTI Bill:- इसी साल 22 जुलाई 2019 को आरटीआई बिल में बलाव किए गए थे। लोकसभा में केंद्र सरकार ने सुचना का अधिकार अधिनियम कानून की बात रखी। जब इस बिल के संशोधन के लिए बात रखी गई तो 218 वोटों ने इसके लिए सहमति दी थी और विरोध में 79 वोटों ने बात को टालना चाहा। इसके बाद राजयसभा में भी इस मुद्दे की चर्चा हुई।