भारत में छठ पूजा का त्यौहार, जान लें ये बातें

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छठ पूजा

त्योहारों के इस देश में वैसे तो हर दिन ही एक पर्व रहता है पर कुछ ख़ास पर्व भी होते है जिनकी अपनी एक रौनक देखने को मिलती है उन्ही में से एक है छठ का महापर्व जिसे चार दिन तक बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | इन दिनों अलग अलग जगहों पर नाच गाना, धार्मिक कथायें सुनाई जाती है | नव दुर्गा की भाँती ही छठ पूजा भी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है | कार्तिक के महीने में इस पर्व का अपना ही एक महत्व है | छठ को सूर्य देव की बहन के रूप में माना जाता है |

 

 कब मनाया जाता है छठ और क्यों ?

साल में दो बार यह पर्व मनाया जाता है इस दिन सूर्य देव की आराधना की जाती है | चैत्र शुक्ल षष्टी और कार्तिक शुक्ल षष्टी पर छठ पूजा की जाती है | पर महापर्व के रूप में कार्तिक शुक्ल षष्टी पर मनाये जाने वाला पर्व मुख्य माना जाता है | वैसे तो इस पर्व पर उपवास रख कर हर किसी की अपनी मनोकामना होती है पर सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिए की जाती है | माना जाता है की सूर्य देव की कृपा से सेहत तंदरुस्त रहती है | छठ माईं संतान प्रदान करती है | घर में सुख,शांति,समृद्धि का वास होता है | भारत में 11 नवंबर से 14 नवंबर तक यह महा पर्व मनाया जा रहा है |

 

छठ पूजा के चार दिन

पहले दिन होता है ये :- इस की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ हो जाती है | इस दिन उपवास रखने वाले लोग सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर नए वस्त्रो का संग्रह करते है और भोजन में केवल शाकाहारी भोजन के सेवन करते है | मान्यता के अनुसार घर के जिस शख्स ने व्रत रखा है उसके खाना खाने के बाद ही घर के अन्य लोग भोजन खा सकते है |

छठ का दूसरा दिन :- शुक्ल पंचमी को पुरे दिन व्रती द्वारा व्रत रखा जाता है और सायं काल में भोजन को ग्रहण किया जाता है | इसे खरना भी कहते है | व्रती दिन बिना जल और अन्न के बिना दिन व्यापन करते है | फिर व्रत खोलने के लिए श्याम को गुड़ और चावल की खीर बनाकर खाया जाता है | इस दिन घर के भोजन में नमक और चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता |

पूजा का तीसरा दिन :- षष्टी के दिन पूजा के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है और बांस से बनी टोकरी में फल और प्रसाद को रखा जाता है | टोकरी की पूजा अर्चना करने के बाद सभी व्रती सूर्य को अर्ग देने के लिए किसी तालाब, नदी, या घाट आदि पर जाते है | यह नज़ारा देखते ही बनता है | सभी व्रती स्नान कर के डूबते सूर्य की आराधना करते है |

चौथा और आखरी दिन :- छठ पूजा का यह आखरी दिन होता है | सप्तमी वाले दिन प्रातः काल उठ कर उगते सूरज की पूजा की जाती है और प्रशाद बाँट कर विधिवत रूप से छठ पूजा सम्पन्न की जाती है |