COP-14 में देश की बढ़ती समस्या पर प्रधानमंत्री ने सभी के सामने रखी यह बात

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COP-14

COP-14:- ग्रेटर नॉएडा में चल रहे 12 दिवसीय एक्सपो मार्ट में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शिरकत किया। इस समारोह में उनका साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। इस कॉप-14 का आयोजन दुनिया को बढ़ रहे मरुस्थलीकरण से बचाने की एक मुहीम है। जिसका शुभारम्भ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 2 सितम्बर को किया था। सूत्रों के मुताबिक़, COP-14 में दुनिया के 196 देशों के प्रतिनिधि सम्मलित होने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने COP-14 में अपने भाषण में कहा कि भारतीय संस्कृति में धरती को महत्त्व दिया गया है। जलवायु एवं पर्यावरण का असर बायोडायवर्सिटी और धरती दोनों पर पड़ता है। पीएम मोदी ने कहा इस बात को स्वीकार किया गया है की दुनिया जलवायु के दुष्प्रभावों का सामना कर रही है। और इसका बुरा परिणाम धरती पर भी पड़ता है। साथ में जीवों को भी यह सब सहना पड़ता है। लेकिन इन सब दुष्प्रभावों के कारण धरती का तापमान बढ़ने, समुद्र का जलस्तर बढ़ने, बाढ़, तूफान और भूस्खलन जैसी घटनाएं होती जा रही हैं।

COP-14

जल संकट की बात रखते हुए पीएम मोदी ने COP-14 में अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में दुनिया जल संकट के गंभीर दौर को देख रही है। धरती के मरुस्थलीकरण को ख़त्म करने के लिए हमें जल संरक्षण की और ध्यान देना होगा। मरुस्थलीकरण की वजह से देश के सतत विकास भी प्रभावित होता है।

पीएम मोदी ने COP-14 में अपने सम्बोधन में कहा कि मरुस्थलीकरण को बढ़ाने का कारण प्लास्टिक का कचरा भी है। प्लास्टिक का कचरा स्वास्थय और धरती दोनों पर बुरा प्रभाव कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा हमारी सरकार कुछ सालों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने वाली है। आने वाले वक़्त में भारत सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म कर देगा। इसके साथ दुनिया भी सिंगल उसे प्लास्टिक को गुडबाय कह देगी।