Dhanteras 2019:- किस उपहार के साथ स्वागत करेंगे आप धन की देवी माँ लक्ष्मी का

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Dhanteras 2019:- देश में हर तरफ रोशनी ही रोशनी दिखने लगी है। बाजार और घर अलग तरह से ही सजने लगे हैं। मिठाइयों की दुकानों पर पैर रखने तक की जगह नहीं है। चाँदी के सिक्कों और बर्तनों पर तो सेल ही सेल के बोर्ड टंगे हुए दिख रहे हैं। बच्चों का मन तो पटाखों से हट ही नहीं रहा। गृहणियों ने तो डिशों की लिस्ट बना कर रख ली है। घर के पुरुष तो ‘पार्टी मूड’ में दिखाई देने लगे हैं। वहीं, युवाओं ने इस दिवाली ‘मेड इन इंडिया’ और ‘से नो मोर टू चाइनीज़’ का शोर मचा रखा है। मिटटी के दीयों से लेकर मोमबत्तियां धरती को अँधेरे से दूर करने के लिए बिकने लगी है। शुक्रवार को धन की देवी माँ लक्ष्मी सभी के दरवाजे पर आकर खड़ी हुई हैं। लोग सुन्दर-सुन्दर कपड़े पहन कर माँ लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए पलकें बिछाये बैठे हैं।

Dhanteras 2019

Dhanteras 2019:- मान्यता है, धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस दिन चाँदी का कोई आभूषण और कोई बर्तन खरीदने का रिवाज है। असल में, धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। क्योंकि यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है। इस दिन आयुर्वेद के देवता धनवंतरि के देवता का जन्म हुआ था। उनके जन्म की कथा कुछ ऐसे है, समुद्र मंथन के दौरान आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे।

Dhanteras 2019

Dhanteras 2019:- इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ-साथ, आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदने या फिर उपहार में देना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन व्यापारी या कारोबार करने वाले अपनी दुकानों में लक्ष्मी पूजन करते हैं।

Dhanteras 2019

Dhanteras 2019:- इस बार, धनतेरस की पूजन का शुभ समय शाम सात बजकर आठ मिनट से शाम आठ बजकर सोलह मिनट तक रहेगा। माँ लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि का पूजा पूरी विधि-विधान से किया जाना चाहिए। इस दिन दरवाजे पर सरसों के तेल का दिया जलाने से मृत्यु के देवता यमराज से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दिन दीप-दान किया जाता है।

Dhanteras 2019:- दीप-दान के समय इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।

Dhanteras 2019:- माँ लक्ष्मी की पूजा करने के लिए लाल रंग का कागज़ बिछाएं और इसके बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। अनाज के ऊपर स्वर्ण, चाँदी या मिटटी का कलश रखें। इसमें पानी और गंगाजल मिला दें। कलश में सुपारी,फूल, सिक्का और अक्षत भी अर्पित करें। इसमें अब आम के पांच के पत्ते लगाएं। पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें। कलश के सामने दाहिने तरफ दक्षिण पूर्व दिशा में भगवान गणेश की प्रतिमा रखिये।