पूर्व प्रधानमंत्री को याद कर ग़मगीन हुआ राजनीतिक माहौल, सब लोग दे रहे हैं श्रद्धांजलि

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि है। पिछले साल 16 अगस्त को ही उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली थीं। उनके देहांत की खबर सुनकर सारा देश गम में डूब गया।

दिवगंत नेता का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में ही था। उनकी शिक्षा भी ग्वालियर में ही पूरी हुई। बेहद सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। राजनीति के साथ साथ उन्हें लिखने का भी शौक था। उनकी लिखी हुई कविताएं चर्चित हैं। वह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की थी। और जब भी उनसे शादी ना करने का कारण पूछा जाता, तो वो सीधे स्वभाव में कह देते – कि समय नहीं है। लेकिन उनकी एक पुत्री भी थी – नमिता भट्टाचार्य। नमिता उनकी दत्तक पुत्री हैं।

सदैव अटल ‘ पर दी गई भाव-भीनी श्रद्धांजलि

शुक्रवार को पूर्व प्रधानमन्त्री की पहली पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सदैव अटल जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।सदैव स्थल को पिछले साल दिसम्बर में देश को समर्पित किया गया था। बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बीजेपी के कई बड़े नेता भी सोशल मीडिया पर अपने अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री भी अपने परिवार के साथ सदैव अटल पर मौजूद थीं।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट कर स्वर्गीय दिग्गज नेता को याद किया।

आपको बता दें की भाजपा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियों को देश की सौ नदियों में प्रवाहित की गयीं थी। सबसे पहले हरिद्वार की गंगा नदी में इसकी शुरुआत की गयी।

उनका राजनीतिक जीवन:-

  • साल 2014 में पूर्व पीएम को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • साल 1996 में वो पहली बार प्रधानमंत्री बने लेकिन उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल पायी थी।
  • साल 1998 में वो दूसरी बार प्रधानमंत्री बनाए गए, उस समय उनकी सरकार 13 महीने तक के लिए चली।
  • साल 1999 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री के पद को संभाला और अपना कार्यकाल पूरा किया।
  • साल 2004 के बाद से उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली, वजह थी सेहत का सही नहीं होना।
  • साल 1957 में वो उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।
  • वह 47 साल तक बतौर सांसद के पद पर संसद में अपनी भूमिका निभाते रहे।
  • उन्हें 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा का पद दिया गया।