“हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते”…. पढ़ें गुलजार साहब की चुनिंदा कविताएं

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गुलज़ार साहब की शायरी

संगीत वो जो हमारी ज़िन्दगी में रंग भर देते है। गीत के शब्द वो जो हमारे दिल को छू लेते है। गाने हर फिल्म कीजान होते है। ऐसे सुर लगाना या ऐसे बोल लिखना किसी भी संगीतकार के लिए आसान नई होता। जिससे की लोग न सिर्फ उस गीत को गुनगुनाये बल्कि उस एहसास से खुद को जोड़ पाए। लेकिन एक गीतकार है, जिन्होंने फिल्म की इस शान को ना सिर्फ बरकरार रखा है। अन्यथा अपने शब्दों को गीतों में बदल कर बॉलीवुड को एक अलग मुकाम तक लेके जाने में मशहूर निर्देशक और गीतकार गुलज़ार साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।

Indian poet Gulzar speaks at an event during the Jashn-e-Rakhta Urdu festival in New Delhi on February 13, 2016. AFP PHOTO / Chandan KHANNA / AFP / Chandan Khanna (Photo credit should read CHANDAN KHANNA/AFP/Getty Images)

साल 1934 में गुलजार साहब का जन्म पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब के दीना में हुआ। गुलजार जी ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए विभाजन के उस अविश्वसनीय मंजर का सामना किया। उन्होंने अपने आस-पास होने वाले कई सामजिक मुश्किलों का सामना किया। लेकिन इसके बावजूद उनके कदम कभी ना डगमगाए। गुलजार साहब ने अपना हर काम दिल लगा कर किया। शायद उनका अनुभव और उनकी अपने काम के प्रति लगन ही है। जिसकी वजह से वो इतना खूबसूरत लिखते हैं, कि उनके बोल सुन किसी को भी मोहब्बत हो जाए । 

एक्ट्रेस राखी से की थी शादी

गुलजार जी ने निजी जिंदगी में भी काफी उतार-चढ़ाव देखा। उनकी शादी तलाकशुदा एक्ट्रेस राखी से हुई । हालांकि, गुलजार साहब और राखी की शादी असफल रही।

बेटी के जन्म से पहले ही दोनों अलग हो गए। आपको बता दे, गुलजार साहब और राखी की बेटी मेघना गुलजार है, जो की एक फिल्म निर्देशक हैं।

एक आम मैकेनिक से बॉलीवुड की मशहूर हस्ती बनने का सफर

“जंगल जंगल बात चली है” दूरदर्शन पर आए शो ‘जंगल बुक’ का यह मशहूर गाना आपको अगर याद हो तो, बता दे, यह गीत भी गुलजार साहब ने लिखा है। यही नहीं ऐसे बहुत से मशहूर गाने लिख गुलजार जी ने सबके दिलों में अपनी एक अलग जगह बनाई। किन्तु ये कामयाबी का सफर इतना आसान ना था। असल में, बचपन में ही गुलजार जी के सर से माँ का साया हट चूका था। वो छोटे थे, जब उनकी माँ का देहांत हो गया था। देश के अलगाव के बाद उनका परिवार पंजाब के अमृतसर में बस गए थे। किन्तु अपनी मंजिल पाने के खातिर गुलजार साहब ने अमृतसर से मुंबई की ओर रुख किया।

मुंबई में जीवन यापन करना इतना आसान नहीं था। पर कहते है, न जिनके सर पर मंजिल तक पहुंचने का जूनून सवार हो, वो रास्तों की मुश्किलों से नहीं डरते। गुलजार साहब ने भी कुछ ऐसा ही किया दिखाया। मुंबई आते ही उन्होंने गुजारा करने की लिए एक गैरेज में बतौर मैकेनिक काम करना शुरू कर दिया। लेकिन उनकी मंजिल और उनके बचपन के कविता लिखने के शौक़ ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की ओर जाने पर मजबूर कर दिया। जहाँ गुलजार जी मशहूर फिल्म निर्देशक बिमल राय, ह्रषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करना शुरू किया ।

बात करे उनके लिखे फिल्मों में लिखे पहले गीत की तो बता दे, गुलजार साहब ने एसडी बर्मन की फिल्म ‘बंदिनी’ से बतौर गीत लेखक अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने सिनेमा जगत को कई खूबसूरत गीत दिए।

शायरी थी पहला प्यार

गीतकार, फिल्म निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर रह चुके गुलजार साहब का पहला प्यार उनकी शायरी थी। वो अक्सर कहते है, एक गीतकार से पहले वो एक शायर हैं। गुलजार जी का ये शायराना अंदाज़ उनके दर्शकों को भी खूब भाता है।

पढ़ें गुलजार साहब की चुनिंदा शायरी

आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई….

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है…

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है…

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे…

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा…

गानो के जरिये लोगो के दिलों में छिपे एहसासों के तार छेड़े

अपने गानो से गुलजार साहब ने ना जाने कितने लोगो के दिलों में छिपे एहसासों के तार छेड़े। ज़िन्दगी की सादगी को हक़ीक़त के आईने को अपने गानो के जरिये लोगो तक पहुंचाया। यूँ ही नहीं सबके दिलो पर राज कर ये मुकाम पाया

गुलजार साहब के कुछ हिट गानें

गाना: तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा…

गाना: वो शाम कुछ अजीब थी…

गाना: तुम आ गए हो…

गाना: मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है…

गाना: कतरा कतरा मिलती है…