सुप्रीम कोर्ट ने लिया यह निर्णय, अयोध्या विवाद मामले में सोमवार से रोजाना एक घंटा होगी सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सोमवार से रोजाना एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई करने का निर्णय लिया है। एक घंटे का समय इसलिए बढ़ाया गया है ताकि अयोध्या मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जा सके। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने इस विवाद के दोनों पक्षों के वकीलों से कहा कि उसने सामान्य प्रक्रिया के तहत शाम चार बजे की बजाय रोजाना पांच बजे उठने का निर्णय लिया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धन्नजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर बांटने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई कर रही है।

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के खिलाफ 2017 में याचिका दायर कर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की थी।

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के खिलाफ 2017 में याचिका दायर कर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की थी। अधिवक्ता ने कांग्रेस नेता पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इसके बाद गुरूवार को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ महज अपमानजनक शब्द बोलने से कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के खिलाफ राजद्रोह का मामला नहीं बन सकता। पुलिस ने कहा कि यहां तक कि अगर अय्यर ने पाकिस्तानी अधिकारियों की मेजबानी करने में प्रोटोकॉल तोड़ा होता भी यह भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोहिल वेमुला और डॉ. पायल तड़वी के केस की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। साल 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के रिसर्चर रोहित वेमुला और इस साल मई में मुंबई के एक अस्पताल में काम करने वाली डॉ. पायल तड़वी ने जातिगत भेदभाव के चलते आत्महत्या कर ली थी। इन दोनों की माताओं ने सुप्रीम कोर्ट से विश्वविद्यालयों और हायर एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स में ऐसे भेदभाव को ख़त्म किए जाने का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिस में केंद्र सरकार और यूजीसी के लिए लिखा है वह देश के अंदर विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से जाति आधारित भेदभाव को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाए। इस केस की अगुवाई कर रहे जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस भेजकर चार हफ्तों में इसका जवाब माँगा है।