Unkahe Jazbaat :- एक खुला मंच और कई कलाकारों की कला

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Unkahe Jazbaat

हर किसी की डायरी में लिखें होते हैं वो जज्बात, जो अनकहे ही रह जाते हैं। ‘Unkahe Jazbaat’ की शुरुआत तीन दोस्तों ने की थी। शुरुआत थी एक ऐसा मंच तैयार करने की जो सभी के लिए खुला है, अपनी बात कहने के लिए। जहाँ श्रोता और वक्ता दोनों एक-दूसरे को समझ सकें। 2019 में शुरू हुआ ‘अनकहे जज़्बात’, एक ऐसा मंच है जहाँ कई लोग अपने मन की बात कह जाते हैं। इस मंच पर आपको कई कहानियाँ और कविताएं सुनने को मिल जाएँगी।और इन किस्से-कहानियों या कविताओं में छिपे हैं कई जज़्बात, जो कि कहे नहीं जाते। इन्ही को सुनने वालों की भीड़ कहने वालों से ज़्यादा होती है।

‘Unkahe Jazbaat’ समय समय पर Open Mics का आयोजन करता रहता है, जहाँ कहानीकार को अपनी कहानी और कवि को अपनी कविता कहने का मौका मिलता है। इन ओपन माइएक्स को आयोजित करवाने के पीछे एक बेहतरीन टीम का हाथ है, जो की प्रोफेशनली मार्केटिंग के काम को संभालती है।

इसके साथ ही ‘Unkahe Jazbaat’ को शुरू करने वाली टीम का कहना है कि अगर हमारे किसी आयोजन से किसी भी व्यक्ति को कोई मदद मिल सकती है तो वह ऐसे प्रोग्राम जरूर बनाएंगे। अपनी बात रखते हुए टीम ने कहा कि बीते दिनों हुए पुलवामा अटैक के समय भी उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी में एक प्रोग्राम का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने शहीदों के परिवार के लोगों के लिए फंड इखट्टा किया था। इस फंड की राशि 20 से 30 हज़ार तक आयी थी। ‘Unkahe Jazbaat’ की टीम ने इस राशि को शहीदों की परिवारों को दिया था।

इसके साथ ही उन्होंने ‘Impulsive Verses’ नाम के एक सीरीज़ का आयोजन भी किया। जिसमें हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों को एक चित्र दिया जाता है। उस चित्र के अनुसार प्रतिभागियों को कुछ न कुछ कहना होता है।

farz aur feminism

Unkahe Jazbaat

15 सितम्बर को होने वाले इस प्रोग्राम में बात की जायेगी ‘फेमिनिज्म’ की। जहाँ पर फ़र्ज़ और फेमिनिज्म पर बात की जाएगी। इस प्रोग्राम में अपनी कविता या कहानी का पाठ करेंगे 15 लोग। यह प्रोग्राम का आयोजन होगा गुरुग्राम के ‘केमिनो कैफ़े’ में दोपहर 3 बजे से। इस आयोजन में Unkahe Jazbaat का साथ दे रहे हैं ‘The girl imprints”