Guru Purnima : आज याद किए जाएंगे गुरु वेद व्यास, रात को लगेगा चंद्र ग्रहण

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Guru Purnima
illustration of elements of hindu festival Guru Purnima background

गुरु गोविन्द दाऊ खड़े काके लागू पाए, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो मिलाये – अर्थात एक गुरु का स्थान भगवान् के स्थान से भी ऊपर है. महंत संत कबीरदास जी का यह दोहा, इसका अर्थ और महत्ता तो हर कोई जानता है।

मंगलवार को हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण दिन है – गुरु पूर्णिमा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन सभी अपने गुरुओं को पूजा करते हैं। भगवान से भी ऊँचा दर्जा गुरु को ही दिया गया है। गुरु वो हैं जो हर व्यक्ति को ज्ञान देता है, उस ज्ञान से हर कोई अपने हर सपने को पूरा कर सकता है।गुरु बिना ज्ञान अधूरा है. पौराणिक कथाओं में से बहुत से उदाहरण जिसमें गुरु को विशेष दर्जा है. रामायण से लेकर महाभारत तक , प्रचलित कथाएं गुरु और शिष्य के रिश्ते को भली भाँती दर्शाती हैं.

गुरु हमें मार्ग दर्शन देते हैं इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। यह दिन महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ मॉस की पूर्णिमा को ही हुआ था।गुरु वेद व्यास जी के पिता ऋषि पराशर थे. शास्त्रों में गुरु वेद व्यास को तीनों काल का ज्ञाता माना गया है। उन्हें प्रथम गुरु के रूप में देखा जाता है। महाभारत जैसी रचनाएं उन्ही की देन हैं। संसार को वेदों का ज्ञान देने वाले भी यही थे जिसके कारण इनका नाम वेद व्यास रखा गया।

इस दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं। फिर घर के मंदिर में चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12 रेखाएं बनाकर व्यास पीठ बनाते हैं। अपने गुरु की फोटो लगाकर तिलक लगाकर व फुल अर्पित कर, मंत्रोच्चार से उनकी पूजा कि जाती हैं।

आज चंद्र ग्रहण भी है। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का संयोग १४९ साल बाद आया है। ये २ घंटे ४९ मिनट का होगा यानी भारतीय समयानुसार रात्रि १:३१ बजे से अगले सुबह के ४:३० बजे तक होगा और इसे पुरे भारत में देखा जाएगा। जिसका सूतक नौ घंटे पहले यानी की शाम के ४ बजे लग जाएगा। चंद्र ग्रहण के समय काम नहीं करना चाहिए मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे और अगले दिन मंदिर के कपाट खुलेंगे पूर्णिमा के दिन पड़ रहे इस ग्रहण का असर मानव शरीर पर पड़ेगा।