निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर लग सकती है रोक

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स्कूल fees

हर माँ बाप का सपना होता है, अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना। उनको सारी जरुरत की चीजें देना। उनकी हर छोटी-बड़ी ख्वाइश पूरी करना। शिक्षा की बात करें तो सभी परिजन यही चाहते हैं कि उनके बच्चों की शिक्षा भी किसी अच्छे विद्यालय में ही पूरी हो। इसी के चलते पेरेंटस प्राइवेट स्कूलों की ओर भागते हैं। लेकिन प्राइवेट स्कूलों की फीस के बारे में सोचकर वह परेशान हो जाते हैं। इतनी मँहगाई में बच्चों की फीस का भार झेल रहे माता पिता, कई बार अपनी जरुरतों को लेकर वंचित रह जाते हैं।

कई बार खबरों में देखा गया है कि माता-पिता स्कूल के बाहर फीस में मनचाही बढ़ोतरी को लेकर हंगामा कर रहे हैं। कई बार इसके खिलाफ आवाज उठाई तो गईं थी लेकिन कोई फैसला नहीं आ सका। एक उदाहरण देश की राजधानी दिल्ली का ही ले लीजिए, यहाँ हर साल नर्सरी क्लास के लिए में लाखों अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराने के लिए भाग दौड़ करते हैं। सुबह से स्कूलों के बाहर एडमिशन फाॅर्म लेने के लिए लंबी लाइनों में लगने के बाद भी कई अभिभावक खाली हाथ घर लौट आते हैं। और जिन्हें फाॅर्म मिल जाता है वो फीस भरने की मारामारी को झेलते हैं। फीस कुछ हजार रुपए में ही नहीं बल्कि लाख रुपए की गिनती में आती है।

लेकिन, अब यह मामला देश की संसद में भी पहुँच चुका है। शुक्रवार को राज्यसभा के शून्य काल में सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया। सदस्यों ने सरकार के सामने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के कारण फीस में लगातार होती बढ़ोतरी पर लगाम लगाने की मांग रखी। भाजपा के एक सांसद ने कहा कि कुछ उद्योगपति शिक्षा के क्षेत्र में आकर इसे व्यापार के रुप में ले लेते हैं और मुनाफा कमाने की सोचते हैं।

एडमिशन के टाइम पर निजी स्कूल वालों की पहली माँग इमारत के नाम पर मोटी फीस होती है। फिर बाद में स्कूलों के पसंद वाली जगहों से ही किताबें और यूनिफाॅर्म खरीदना, जिनके भाव पहले से ही आसमान में रहते हैं। अफसोस, अभिभावक इन दोगुनी कीमत वाली जगहों से न चाहते हुए भी किताबें और यूनिफाॅर्म खरीद लेते हैं। उन्होंने कहा कि इन हीं कारणों से कई अभिभावक अपने लिए घर नहीं बना पाते। परन्तु, इन पैसों से एक ही स्कूल में कई इमारतें अपनी नींव बिछाने लगती हैं।

वहीं, सपा के सुरेन्द्र सिंह नागर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की फीस की वृद्धि 150 फीसदी हुई है।उन्होंने कहा कि 2018 में निजी स्कूलों में हो रही फीस बढ़ौतरी पर विराम लगाने के लिए कानून तो बनाया गया है, लेकिन इसका कार्यान्वन नहीं हो रहा है।

संसद में स्कूलों की मनमानी को लेकर चल रही चर्चा में कई राज्यसभा में उपस्थित सांसदों ने अपनी-अपनी राय दी और स्कूलों की मनमानी से फीस में हो रही लगातार बढ़ोतरी के मामले को लेकर कानून बनाने की माँग रखी गई है।