Plastic मुक्त बनेगा भारत, गाँधी जयंती पर हो सकता है ऐलान

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इस साल गाँधी जयंती के दिन देश में प्लास्टिक पर बैन लगाया जा सकता है। प्लास्टिक के उत्पाद और उसकी खपत को काम करने के लिए सरकार यह काम कर सकती है। प्लास्टिक यानी प्लास्टिक बैग, कप और स्ट्रॉ। अंग्रेजी न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के अधिकारियों से यह जानकारी मिली है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी शहरों और गाँवों में प्रदुषण की क्षमता को काम करने के लिए इसकी घोषणा कर सकते हैं।

असल में पीएम मोदी साल 2022 तक प्लास्टिक्स के इस्तेमाल पर रोक लगा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक़, आने वाली 2 अक्टूबर को पीएम मोदी 6 प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल पर पाबंदी के लिए एक अभियान शुरू करने वाले हैं। जिन चीज़ों को बैन किया जा रहा है यह प्लास्टिक सिंगल-टाइम प्रोडक्ट हैं। इन प्लास्टिक प्रोडक्ट्स से ज़्यादा परेशानी होती है।

इसके लिए पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में भी सरकारी एजेंसियों और जनता से भी अपील की थी की देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने में मदद करें। इसके लिए ‘पहला बड़ा कदम’ उठाएं।

इस बात पर तो कोई भी संदेह नहीं होगा कि, हमारे आस पास आपको कई जगह प्लास्टिक के ढेर देखने को मिल जाएंगे। अब यही प्लास्टिक नदी में जाता है और फिर नदी से समुद्र में। समुद्री जीवों के लिए यह बड़ी मुश्किल की बात है। कई समुद्री जीव इन्हें खाना समझ खा लेते हैं। जिससे उनकी पाचन क्रिया में यह प्लास्टिक दिक्कत पैदा करती है।

ऐसे में आपने सोशल मीडिया पर काफी फोटोज देखी होंगी।

आपको बता दें, कि भारत में सिंगल यूज़ प्लास्टिक की श्रेणी में कौन सी चीज़ें आती हैं, यह अभी तक किसी को भी नहीं मालुम है। इस बात की पुष्टि ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने एक न्यूज़ पेपर को दी है।

लेकिन इसके बारे में यूरोप में एक परिभाषा दी गयी है, जो कहती है की, वो प्लास्टिक जो सिर्फ एक बार के इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है और जिससे पर्यावरण को नुक्सान पहुँचता है, उसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक कहा जाता है।

देश में कितना प्लास्टिक का कचरा निकाला जाता है, इस पर देश के केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में देश के 60 बड़े शहर चुने गए। सर्वे में पाया गया कि देश में रोज 4,000 से ज़्यादा टन प्लास्टिक का कचरा निकाला जाता है। अगर इस रिजल्ट को देश के हिसाब से देखा जाए तो इसका अनुमान होगा करीब 25,940 टन प्लास्टिक कचरा। जिसमें से सिर्फ 60 प्रतिशत कचरा ही रिसाइक्ल होता है। बाकी का कचरा तो आप अपने शहर की नदी-नालों में देख ही लेते है। जो की सीधा समुद्र में चला जाता है।

और फिर वही कहानी, इस कचरे को भोजन समझ कर जानवर खा लेते हैं। और उनके अंदर यह जानलेवा खाना घर कर जाता है। एक और सर्वे में पता लगाया गया कि हर साल डेढ़ लाख टन प्लास्टिक कचरा विदेशों से भारत में आता है। वैसे देखा जाए तो देश में कई रीसाइक्लिंग यूनिट हैं, जिनमें से कई यूनिट आधिकारिक रूप से चलाई जा रही हैं।

काफी लोग घर का बचा हुआ खाना प्लास्टिक की थैलियों में रख कर डाल देते हैं। काफी लोग तो सब्ज़ी वालों से यह भी शिकायत करते हैं कि प्लास्टिक की थैली में आप सब्ज़ी क्यों नहीं दे रहे? और सिर्फ सब्ज़ी वाले ही नहीं कई दुकानदार इसी बात के लिए कहते हैं। लेकिन सोच-समझ कर तो हमें ही चलना है। अपने लिए नहीं, बल्कि अपने भविष्य के लिए सोचना है।