आज के अहम मुद्दों पर एक नजर – टॉप 5 न्यूज़

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उन्नाव दुष्कर्म

लोकसभा में मंत्रियों को आवंटित की गईं हैं सीटें

अब से लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली कतार में बैठे हुए नज़र आयेंगे। गत बुधवार को सीटें आवंटित की गई हैं। प्रधानमंत्री के साथ राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, डिवि सदानंद गौड़ा, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, रमेश पोखरियाल निशंक आदि वरिष्ठ नेतागण पहली कतार में बैठेंगे। दूसरी कतार में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, महेन्द्रनाथ पांडेय, गिरिराज सिंह, गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम दिया गया है।

वहीं विपक्ष में मुलायम सिंह यादव, सोनिआ गाँधी, सुदीप बंदोपध्याय और माहताब आदि मंत्रियों को सीटें दी गई हैं। हैरानी की बात यह है की राहुल गाँधी की सीट वही है जहाँ वो पहले ही बैठते थे। यानी की विपक्ष की दूसरी कतार की साइड रौ। विपक्ष की दूसरी कतार में अखिलेश यादव, फारुख अब्दुल्ला, सुप्रिया सुले, कनीमोझी भी बैठे दिखाई देंगे।

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आखिर मुस्लिम महिला विधेयक 2019 बन गया है कानून

बुधवार देर रात को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला विधेयक 2019 पर मुहर लगा दी है। कहा जा रहा है की यह कानून 19 सितम्बर से लागू हो जाएगा। काफी विवाद के बाद इस बिल को दोनों सदनों में पास किया जा चुका था। लोकसभा में यह बिल 25 जुलाई को पास हुआ था। वहीं 30 जुलाई को राज्य सभा में ये बिल को पास किया गया।

19 सितम्बर के बाद से जितने भी केस इस मामले से जुड़े हुए आएंगे, उन सभी केस को इस कानून के तहत सुलझाया जाएगा। इस बिल में कहा गया है की यदि कोई महिला तीन तलाक की बात को लेकर अपने पति की पुलिस में शिकायत करती है तो उसे तुरंत ही संज्ञान रूप में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। महिला के सगे संबंधी भी इस मामले की रिपोर्ट थाने में लिखवा सकते हैं। लेकिन पड़ोसी या कोई अन्य व्यक्ति रिपोर्ट दर्ज करवाने का हक़दार नहीं हैं। इस केस में आरोपी को तीन साल तक की जेल हो सकती है।

गिरफ्तारी के बाद आरोपी को जमानत तभी मिलेगी, जब तक पीड़ित महिला अपना बयान न दे दे।

आज राम मंदिर विवाद की रिपोर्ट पेश करेगा मध्यस्थता पैनल

अयोध्या में चल रहे राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल गठित की थी। अब गुरूवार को वही मध्यस्थता पैनल सीलबंद लिफ़ाफ़े में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। इस मामले की सुनवाई अगले दिन यानी शुक्रवार को होगी। उस दिन न्यायालय फैसला करेगा की मध्यस्थता को जारी रखा जाए या फिर सुनवाई पर जाए।

मध्यस्थता पैनल में तीन सदस्य हैं जिसकी अध्यक्षता रिटायर जज न्यायमूर्ति कलीफुल्ला कर रहे हैं। इस पैनल का गठन 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया था। मध्यस्थता पैनल से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 31 अगस्त तक प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी थी।

एक हफ्ते में रिपोर्ट पेश करे सीबीआई – सुप्रीम कोर्ट

उन्नाव दुष्कर्म मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है। संसद में भी इस मुद्दे की गूँज सुनाई दे रही है। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म के मामले को गंभीर रूप से ले रहा है। इस पर एक अहम फैसला लिया है। न्यायालय ने कहा कि दुष्कर्म मामले से जुड़े केस उत्तर प्रदेश के बाहर ट्राँसफर हो सकते हैं। उन्नाव दुष्कर्म केस से जुड़े सीबीआई अफसरों को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है।

अभी तक स्टेटस रिपोर्ट के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 12 बजे तक पेश करने का आदेश दिया। उन्नाव दुष्कर्म केस में अहम् सबूत में दिखाई दे रही चिठ्ठी को भी सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है। यह चिठ्ठी दुष्कर्म पीड़िता और परिवार द्वारा लिखी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस हादसे की जाँच रिपोर्ट देने के लिए सिर्फ एक हफ्ते का समय दिया है।

इस केस के मुख्यारोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बीजेपी ने निष्कासित कर दिया है। यह तो सभी जानते है कि भाजपा इस केस में बुरी तरह फंस चुकी है। कल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को दिल्ली बुलाया गया। जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

केजरीवाल सरकार का बड़ा ऐलान, मध्यम वर्गीय के लोगों पर असर करेगा यह ऐलान

दिल्ली वासियों के लिए दिल्ली की सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गुरूवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया है की 200 यूनिट तक की बिजली आपूर्ति का कोई बिल नहीं आएगा।
केजरीवाल ने कहा की पहले लोग 200 यूनिट की बिजली आपूर्ति के 622 रुपए देते थे, लेकिन अब इसका कोई भी शुल्क नहीं देना होगा। वहीँ जो लोग 201-400 यूनिट तक की बिजली का इस्तेमाल करते थे, अब उनका बिल नई लगभग आधा हो जाएगा।

250 यूनिट की बिजली के लिए मात्र 252 रुपए देने होंगे, जो की पहले 800 रुपए थे। इसी तरह 300 यूनिट की बिजली के लिए 971 की जगह 526 रुपए की राशि जमा करनी होगी। सुनने में आ रहा है की ऐसा करने से मध्यम वर्गीय लोगों के लिए ये खबर फायदेमंद साबित हो सकती है।

केजरीवाल सरकार का मानना है, जब उन्होंने 49 दिनों वाली सरकार बनाई थी तब बिजली का कंपनियाँ घाटे में थीं। सरकार बनाते वक्त उन्हें आघा कर दिया गया था। उनसे कहा कि कंपनियों को दिल्ली सरकार ने पैसे नहीं दिए तो दिल्ली को ब्लैकआउट भी कर सकते हैं।