जानिए, क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार ?

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रक्षाबंधन

हिन्दू धर्म में भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित् माना जाता है. हर रिशतो में से भाई=बहन का रिश्ता अलग के साथ-साथ कुछ मामले में बेहद ही ख़ास होता है. भले ही इस रिश्ते में हर समय झगड़ाहोता है, लेकिन आपस में लड़ने वाले भाई-बहन एक-दूसरे से प्यार भी बहुत करते हैं. बड़ा भाई अपनी छोटी बहन की आंखों में एक आंसू बर्दाश्त नहीं कर सकता. वही, छोटा भाई बड़ी बहन को तंग करने का एक मौका नहीं जाने देता. वहीँ जब इस रिश्ते में लड़ाई होती है तो सबके सामने सीक्रेट्स को खोल दिया जाता है. इस खुबसूरत रिश्ते को मानाने के लिए हम हार साल रक्षा बंधन का पर्व मनाते है. लेकिन हम से कई लोगो को यह पता नहीं होता है की आखिर हम रक्षाबंधन क्यों मानते है. तो चलिए आज हम आपको इस पोस्ट में बताते है.

क्यों मनाते है राखी का पर्व ?

जैसा की हम सबको पता है इस पर्व में बहन अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनके लिए मंगल कामना करती हैं. इसके बदले भाई भी बहन को उपहार दे कर खुश करता है. इसके साथ ही भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है. हालांकि इसके पीछे का इतिहास क्या है, अलग-अलग लोग अलग अलग मान्यता है. उन्ही में से एक मान्यता यह है कि चित्तौड़ की रानी कर्मवती ने दिल्ली के मुगल शासक हुमांयु को राखी भेजकर अपना भाई बनाया और इसी राखी की इज्जत के कारण हुमांयु ने गुजरात के राजा से युद्ध कर कर्मवती की रक्षा की.

पौराणिक कथा के अनुसार

वही कुछ पौराणिक कथा की माने तो एक बार राजा बलि ने 100 यज्ञ करने के बाद स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया. तब इंद्र देव ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की वह उनकी मदद करें. देवराज इंद्र के कहने पर भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया और भीक्षा मांगने के लिए राजा बलि के पास पहुंचे. भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापा और राजा बलि को रसातल में भेज दिया. जिसके बाद राजा बलि ने भगवान की भक्ति करने की ठानी.

फिर उन्होंने दिन रात एक करके भगवान की कठोर तपस्या की और वचन लिया कि भगवान दिन रात उनके सामने रहेंगे. तब माता लक्ष्मी राजा बलि के पास पहुंची और उन्होंने बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया. भेंट के तौर पर वह अपने पति को अपने साथ वापस ले आयीं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. तब से लेकर अबतक इस पूर्णिमा के दिन राखी का पर्व मनाया जाता है.