सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को उन्नाव मामले में जांच करने के लिए दिए दो हफ्ते और …

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Supreme court

Supreme Court में पिछले दिनों उन्नाव रेप कांड काफी चर्चा में रहा है। हर किसी की नज़र उन्नाव कांड में मुख्य आरोपी माने जा रहे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर थी। ख़बरों में यह भी आ रहा था की पीड़िता और उसके परिवार की दुर्घटना विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने ही कराई है। इस एक्सीडेंट में पीड़िता और उसके वकील कई दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ते रहे, लेकिन इस एक्सीडेंट में पीड़िता ने अपने परिवार के दो लोगों को खो दिया।

ख़बरों में यह भी आया कि जिस ट्रक ने पीड़िता की गाड़ी को टक्कर मारी, उसके नंबर प्लेट पर कालिख पुती हुई थी। पकड़े गए ट्रक चालक से जब पुलिस ने इस लगी हुई कालिख का जवाब माँगा तो उसने कहा कि अकसर पुलिस की चेकिंग से बचने के लिए यह लोग नंबर प्लेट को काला रंग देते हैं। पीड़िता की माँ द्वारा लिखी गयी एक चिठ्ठी के आधार पर Supreme Court ने यह फैसला लिया की यह मामला अब यूपी में नहीं बल्कि दिल्ली की कोर्ट में सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को 25 लाख रुपए का मुआवजा भी दिया।

यह केस अब दिल्ली में Supreme Court में चल रहा है, और कोर्ट ने सीबीआई को इस दुर्घटना के मामले पर जांच करने के सख्त आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद सीबीआई ने इस केस को अपने हाथों ले लिया।

इस केस में मुख्य आरोपी बताये जा रहे कुलदीप सिंह सेंगर, केंद्र सरकार यानि बीजेपी सरकार में विधायक थे, जिसे सरकार ने बाहर का रास्ता दिखाया। आपको बता दें, इस केस में पीड़िता के अपहरण का केस, पीड़िता के रेप का केस, पीड़िता के पिता की जेल में हुई मौत का केस, उसके पिता पर फ़र्ज़ी आर्म्स एक्ट का केस, और दुर्घटना का केस है। पीड़िता और उसके वकील दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती है।

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शुक्रवार Supreme Court ने इस मामले की जांच को पूरा करने के लिए सीबीआई को दो हफ्ते का वक़्त और दे दिया है। कोर्ट ने कहा की यदि इस मामले पर सुनवाई कर रहे निचली अदालत के जज, 45 दिनों में ट्रायल पूरा करने की सीमा को बढ़ाना चाहते हैं तो वह सुप्रीम कोर्ट को इसके बारे में सूचित कर सकते हैं।

इसके साथ, Supreme Court दिल्ली हाई कोर्ट से यह भी आदेश दिए कि वह निचली अदालत द्वारा पीड़िता के बयान दर्ज कराने का लिए दिल्ली के एम्स अस्पताल में एक अस्थाई कोर्ट का सेटअप तैयार करवा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जांच में देरी होने की भी बात रखी जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि 10 दिन की देरी हो जाए तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन कोई भी व्यक्ति तकनीकी आधार पर बरी नहीं होना चाहिए।