Ghati में इस साल 5 अगस्त को धारा-370 से हटाया गया। इसके बाद से पयर्टकों का आना-जाना अब पिछले दो महीनों से जारी प्रतिबन्ध हटा लिया गया है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से एक सुचना पात्र जारी किया गया है। उस सुचना में लिखा है कि पयर्टकों को हर महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बहरहाल, मिल रही जानकारी के अनुसार कई इलाकों पर इंटरनेट सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। इसके साथ राज्य की विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से हिरासत में रह रहे तीन नेताओं को रिहा कर दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को विभिन्न आधारों पर रिहा किया जा चूका है।
Ghati के सभी बड़े होटल व्यवसायियों और पयर्टन से जुडी कम्युनिटी ने घाटी के राज्यपाल सत्यपाल मालिक के निर्देशों की आलोचना जारी करी है। गवर्नर ने राज्य प्रशासन को कश्मीर आने वाले सैलानियों के लिए जारी ट्रेवल एडवाइजरी रद्द करने का आदेश दे दिया था। हालाकिं, घाटी में कई जगहों पर संचार व्यवस्था अभी भी काम नहीं कर रही है। इसके कारण होटल कारोबारियों में बिना फोन सुविधा के सैलानियों को बुलाने पर निर्देश जारी कर सवाल उठाए थे।
Ghati के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को राज्य ने गृह विभाग को निर्देश दिया कि अगस्त में जारी किए गए एडवाइजरी को वापस लें, जिसमें पर्यटकों को घाटी छोड़ने के लिए कहा गया था। हाल ही में जारी किए गए निर्देश में दस अक्टूबर से घाटी में पयर्टकों के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया गया है।
5 अगस्त की सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में जम्मू कश्मीर का विधेयक पेश किया था और उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से हटाना हमारा संकल्प है। और आखिरकार उन्होंने यह संकल्प पूरा किया। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख राज्य नहीं, केंद्र शासित प्रदेश कहलाए जाते हैं। और आज भी जम्मू-कश्मीर से बहुत सी खबरें आती रहती हैं जिनपर कई बार पर्दा फेर दिया जाता है। कई पाबंदियां आज भी लगी हुई हैं। घाटी में सब कुछ शांत है यह तो सरकार बता रही है लेकिन फिर भी इतनी पाबंदियां क्यों ?