JNU Protest for Fees Hike:- हमारे देश में किसी भी तरह का विरोध-प्रदर्शन करना यानी खुद के लिए कई मुसीबत मोल ले लेना है। भले ही वो शान्ति से किया जा रहा हो या हो-हल्ला मचा कर। जब देश में कोई आपकी सुनने को राज़ी नहीं होता, जब देश में कोई आपके पक्ष की एक भी नहीं सुनता हो, जब देश में कोई चींखने को मज़बूर हो जाए, जब आपके ऊपर जुल्म ज़्यादा हो, तो क्या ही किया जाएगा।
देश में क्या हो रहा है यह सब जानते हैं। किस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, सब पहचानते हैं। देश में लोग किस तरह की मांगें कर रहे हैं यह सब दिख रहा है, यह सब आँखों के सामने है? देश में लोग कहाँ से कहाँ जा रहे हैं, सब अखबारों में छप रहा है। लोगों का बढ़ना और गिरना सब समझ आ रहा है।
देश में एक तरफ सरकार सभी के लिए एक तरह की शिक्षा का सपना देखती है, तो वहीं कुछ छात्र यह करते हैं –
JNU Protest for Fees Hike:- देश की राजधानी में बड़ी प्रचलित शिक्षा स्थल है, नाम है जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी। ज़्यादातर इसे लोग जेएनयू कहते हैं। जेएनयू में इस वक़्त विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। लड़ाई है, यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों और यूनिवर्सिटी के प्रबंधकों के बीच में। लड़ाई का मुद्दा है फीस में बढ़ोतरी। हंगामा छोटी सी चिंगारी से आंग की लपटों में बदल रहा है।
गुस्से के जोश में छात्र संसद भवन की ओर रुख कर रहे हैं। पुलिस उन्हें रोकने का हर तरह से प्रयास कर रही है। लेकिन, छात्र जगह-जगह से निकल कर संसद की तरफ चले जा रहे हैं। छात्रों में अलग-अलग गुट बनाये जा रहे हैं , मकसद है संसद भवन पर अब विरोध प्रदर्शन करने का। सोमवार को जब छात्रों का एक गुट सफदरजंग हॉस्पिटल की तरफ चला, तो पुलिस बल ने उन्हें फिर से रोका। जब छात्र नहीं रुके तो उनके ऊपर लाठी चार्ज किया गया। किसी का सर फूटा तो किसी की टांग टूटी। पर, छात्रों की आवाज़ में गुस्सा था, बेहद रोष था।
JNU Protest for Fees Hike:- अभी कुछ दिनों पहले, जेएनयू में दीक्षांत समारोह होना था। इसी दिन यूनिवर्सिटी के कैंपस में हज़ारों छात्रों का हुजूम गुस्से में नारे लगा रहा था। इस गुस्से के दो कारण हैं, एक- यूनिवर्सिटी ने छात्रों की फीस बढ़ा दी है, दूसरा- यूनिवर्सिटी में अब से ड्रेस कोड लागू किया गया है।
जेएनयू में जो दीक्षांत समारोह होना था, वह अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के ऑडिटोरियम में होना था। इस समारोह में देश के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू सम्बोधन कर रहे थे। गुस्से में नारे लगाते हुए छात्र इसी ओर चले जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी तो वह सफल कहाँ-से हो पाते। छात्रों ने सोच लिया था कि आज कुछ भी हो जाए हम यह सब नहीं सहेंगे।
JNU Protest for Fees Hike:- छात्रों का कहना है, यूनिवर्सिटी ने नए नियम लागू किये हैं, इन नियमों में यूनिवर्सिटी की हॉस्टल फीस में बड़ा बदलाव किया गया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस बात पर जवाब दिया, पिछले 14 सालों से यूनिवर्सिटी ने किसी भी तरह से हॉस्टल फीस के स्ट्रक्चर में बदलाव नहीं किये हैं।
क्या है पूरा मामला ?
ख़बरों के मुताबिक़, यूनिवर्सिटी पहले डबल सीटर कमरे का किराया 10 रूपये लेती थी, वहीं अब यह फीस 300 रूपये प्रति माह हो गयी है। इसके साथ, जिन सिंगल सीटर कमरे का किराया 20 रूपये था, अब वो 600 रूपये प्रति माह कर दिया है।
JNU Protest for Fees Hike:- यूनिवर्सिटी में पहले, वन टाइम मेस सिक्योरिटी फीस मात्र 5500 रूपये थी, अब 1200 रूपये हो चुकी है। अब यूनिवर्सिटी ने यह आर्डर दे दिए हैं कि रात को 11 बजे तक या अधिकतम 11:30 बजे के बाद छात्रों को हॉस्टल के ही अंदर रहना होगा। अब छात्र बाहर नहीं निकल सकते। अब यह भी नियम बनाया गया है कि कोई भी छात्र अपने हॉस्टल के अलावा किसी और हॉस्टल या कैंपस में मिला तो उसे हॉस्टल से निकाला जाएगा।
इसके साथ यह भी नियम अब यूनिवर्सिटी में लाया गया है, कि छात्रों को डाइनिंग हॉल में भी ‘उचित कपड़े’ पहन कर आना है। यह नियम पहले भी था।
अब छात्रों के इस संघ ने यूनिवर्सिटी से कहा है कि वह यह सारे नियम-कानून वापस लें। छात्रों का कहना है कि इस तरह से फीस में वृद्धि को देखते हुए वह पहले भी प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन, यूनिवर्सिटी और प्रशासन इसे अनदेखा कर रहा था।
JNU Protest for Fees Hike:- अब रोज़ ख़बरों में यही देखने को मिलता है कि छात्रों के प्रदर्शन में पुलिस बल ने लाठीचार्ज और तेज़ पानी की बौछार की है। ट्वीटर पर कई तरह से हैशटैग चलाये जा रहे हैं। #jnuprotest, #JNUwallofshame, #JNU_में_हराम_का_खाना_बंद_हो ,#JNU_को_बंद_करो, ट्रेंडिंग लिस्ट में है।
देश में कई बच्चे हैं, जो प्राइवेट कॉलेज और स्कूल में पढ़ रहे हैं। ख़बरों में यह भी आता है, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी को देखते हुए, माता-पिता ने स्कूल के बाहर हंगामा किया। प्राइवेट स्कूल में अच्छी शिक्षा और अच्छी व्यवस्था होती है, तो माँ-बाप बच्चों को अच्छे बड़े स्कूल में भेजना पसंद करते हैं। बात बिगड़ती है स्कूल की फीस देख कर। स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर हज़ारों रूपये बढ़ा दिए जाते हैं। स्कूल खुद से मनमर्ज़ी नियम-कानून बना देते हैं। बच्चे की अच्छी शिक्षा के लिए माँ-बाप अपनी खून-पसीने की कमाई इन स्कूल वालों को दे देते हैं। बच्चों के लिए शिक्षा सिर्फ बस्तों में बढ़ती किताबें ही रह गया है। स्कूल में मिलने वाली अच्छी शिक्षा अब नहीं रही है। अब स्कूल में नॉलेज नहीं, कम्पटीशन खिलाए जाते हैं। स्कूलों में पढ़ाई को समझ नहीं, बल्कि रट्टाफिकेशन बना दिया है। नर्सरी के बच्चों के बैग देख कोई भी हैरान हो जाए। स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटी ही हैं। लेकिन, मज़बूरी है अच्छे स्कूल की अच्छी एजुकेशन लेना।