Hartalika Teej :- भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा – अर्चना में लीन होंगी महिलाएं

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आज भगवान शिव और माँ पार्वती को पूजे जाने वाली हरतालिका तीज है। कहते हैं कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माँ पार्वती ने यह व्रत किया था। हरतालिका तीज भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि वाले दिन मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि इस बार रविवार को पड़ रही है जी की सोमवार सुबह तक रहेगी। तो व्रत का समय रविवार 11:21 बजे से सोमवार सुबह 9:01 बजे रहेगा। शाम के 7:45 बजे पूजन किया जायगा।

यह त्यौहार बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई क्षेत्रों में इस त्यौहार की काफी मान्यता है। हरतालिका के तीज व्रत को सुहागिन महिलाएं और कन्याएं रखती हैं। कहते हैं इस व्रत को सुहागिन महिलाएं इसलिए रखती हैं ताकि माँ पार्वती से अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद पा सकें। व कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिल सके।

क्या होता है इस उपवास में, कैसे करते हैं पूजा

यह पूजा रातभर चलती है। पूजन में भगवान शिव और माँ पारवती को बिल्वपत्र और आम के पत्ते से अभिषेक कराया जाता है। उन्हें मीठे का भोग और खीरा अर्पित किया जाता है। शिव स्रोत का पाठ पढ़ कर आरती की जाती है। फिर उसी सिन्दूर को सुहागिन महिलाएं अपने मांग में लगाती हैं। माँ को हलवे का भोग भी लगाया जाता है।

हरतालिका तीज का व्रत अत्‍यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पूरा करने से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लिया जाता है। व्रत पूरा होने के बाद पूजा की श्रृंगार सामग्री किसी जरूरतमंद को या फिर किसी मंदिर में दे दी जाती है। इस दिन, रात के समय जागरण करने का नियम होता है। अगले दिन भगवान शिव-माँ पार्वती की पूजा करने के बाद प्रसाद बाँटा जाता है। उसके बाद ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है।