Life In A City:- भारत के गाँव ही नहीं, शहर में भी ज़िन्दगी जीना नहीं है आसान

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Life In A City
Life in a big city. Urban people. Cartoon vector.

Life In A City:- भारत देश कई गॉंवों से मिल कर बना एक देश है। कोयल की कूक से होती सुबह और जुगनूं की रौशनी से ढलती शाम। सुबह की चाय से रात को गुड़ के साथ मिलने वाला गर्म दूध। यहाँ गाड़ियों का शोर नहीं सुनाई देता। यहाँ डीजे नाइट्स नहीं हुआ करती। यहाँ सिर्फ है, तो शांत माहौल। किसी शहरी जीवन से भी अलग है, यह गाँव। गाँव में बिजली नहीं है, अच्छी शिक्षा नहीं है, रोज़ी-रोटी के कोई आसार नहीं हैं, अच्छे चिकित्सा सेवा नहीं हैं, इस सब चीज़ों की उम्मीद लिए, हर कोई गाँव छोड़ शहर में आकर बस जाता है।

इस उम्मीद में कि, शहर में वह सारी सुविधा उपलब्ध हैं, जिसकी वह चाह रखता है। जैसे-तैसे पैसे जोड़-जाड़ कर, अपने परिवार से दूर एक अच्छा जीवन जीने के लिए सामान बांधे लोग सुबह की गाड़ी से शहर पहुँच जाते हैं। लेकिन, गाँव में जिन परेशानियों या समस्याओं को वह छोड़कर आया था, वह अब भी उसका पीछा नहीं छोड़ती।

Life In A City:- शहर में आये तो सिर पर छत और खाने को दो रोटी, यह सबसे बड़ी समस्या बन जाती है। फिर, नौकरी, कपड़े, घर का किराया, न जाने कितनी समस्या जन्म ले लेती हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे, कि यह तो सब आम बात है, कहीं न कहीं से तो शुरुआत होनी ही थी। जी ठीक है, मान लिया, कि लाइफ का यह फैज़ तो हर कोई झेलता है। शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन में अधिक अंतर है, यह भी मान लिया। लेकिन कितना?
आइए, यही जानते हैं –

शहरों में सरकार गाँव से ज़्यादा विकास करती है। शहर में बिजली,पानी, पक्की सड़कें, ऊँचे घर, शहर के बाज़ार, बढ़िया-आलिशान मॉल, प्राइवेट और इंटरनेशनल स्कूल, सुप जरुरी चीज़ों में कमी दिख रही है र स्पेशलिटी हॉस्पिटल, आदि सब कुछ तो है यहाँ। परन्तु, क्या है जो मुसीबत बना हुआ है।

Life In A City:- शहर में बढ़ती परेशानी – Over Population. भारत के शहरों में सबसे ज़्यादा आबादी शहरी इलाकों में ही पाई जाती है। हमारे देश में हर साल बर्थ रेट बढ़ते जा रहा है। जिसके रिजल्ट में सभी जरुरी चीज़ों में कमी दिख रही है। चाहे वह, एजुकेशन सेक्टर हो, इंडस्ट्रियल सेक्टर हो, या हेल्थ सेक्टर हो, हर किसी के लिए बेसिक जरूरतों को पूरी करने की होड़ लगी हुई है। इससे ज़्यादा प्रभावित यह है, कि ओवर-पॉप्युलेशन का असर बेरोज़गारी पर ज़्यादा पड़ता है।

Life In A City:- Traffic Problem. लोग बढ़े, तो लोगों के सभी सुख-साधन बढ़ेंगे। सुख-साधनों में किचन की चीज़ें हों या सफर का साथी, सब बढ़ गया। सड़कों पर हर तरफ गाड़ियां ही गाड़ियां, बाइक ही बाइक। ऐसे में, जाम न लगे यह तो हो नहीं सकता। सरकार ने जाम से बचने के लिए शहर की सड़कों पर बड़े-बड़े ब्रिज या फ्लाई-ओवर बना दिए हैं। लेकिन, शहर से गाँव की तरफ जाने वाली सड़क अब भी मदद की गुहार लगा रही है। सरकार की योजनाओं में शहर से गाँव जाती सड़कें तो हैं, पर उनपर होता काम किसी को दिख नहीं रहा है।

Life In A City:- Sanitation Issues. देश में कितनी समस्या हैं और किन-किन समस्याओं पर काम किया जा रहा है। देश को स्वच्छ और साफ़ बनाना हर किसी का सपना बन चूका है। 2 अक्टूबर 2019 को गांधी जयंती के दिन देश ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के लिए खुद से कुछ वादे किए थे। जिसमें खुले में शौच न करने के लिए सरकार ने बहुत काम किया। जगह-जगह सरकार ने शौचालय बनवा दिए हैं, जिनकी हालत बिलकुल खस्ता है।

Life In A City:- Water Crisis. देश में घटता पानी, देश के लिए बढ़ता संकट। भले ही आज हम तकनीकी क्षेत्रों में कितने ही आगे क्यों न बढ़ जाएँ, पर कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जो हमें कमज़ोर बनाती जा रही हैं। आज भी देश में कई ऐसे शहरी क्षेत्र हैं जो सूखे की मार और गंदे पानी की शिकायत करते हैं। कई क्षेत्रों में आज भी बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। बिहार जैसे राज्य जिनमें तरक्की दिखाई दे रही है वह भी इस समस्या का हल आज तक नहीं निकाल पाए। सितारों की चमक-धमक वाली दुनिया, मुंबई, देर रात भी भागती-दौड़ती दिखाई देती है, बहरहाल बाढ़ की समस्या का हल सरकार अभी तक नहीं निकाल पायी।

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Life In A City:- Affordable housing for poor. एक ग्रामीण जीवन जी कर, जब कोई शहरी जीवन जीने का कदम उठाता है, तब वह यह नहीं सोचता कि मुझे वहां किस तरह की समस्यायें मिलेंगी। वह सिर्फ बस्ता उठाकर चला आता है। लेकिन, जैसे-जैसे शहर करीब आता है और मीलें कम होने लगती हैं। अपने आप कई सवाल जन्म लेने लगते हैं। घर पर छत मिलेगी या नहीं? किस तरह का घर होगा ? कितना किराया होगा ? आदि।

Life In A City:- Crimes in cities. दिल्ली, बंगलुरु, मुंबई, जयपुर, कोलकाता, सूरत, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, जितनी अच्छे नाम, उतने की क्राइम में बढ़ता इनका नाम। इन नामचीन महानगरों में दिनों-दिन अपराधिक केस ख़बरों में अपने लिए जगह बनाते हैं। NCRB की रिपोर्ट में देखा जाए तो भारत के इन्हीं प्रमुख देशों में क्राइम रेट सबसे ज़्यादा देखा गया है। मर्डर, लूटपाट, रेप, किडनेपिंग, धोखा-धड़ी, न जाने किन-किन अपराधों में इन शहरों ने मुकाम हासिल कर लिए हैं।

हम यह तो आसानी से कह देते हैं कि शहर में गाँव से ज़्यादा अच्छी ज़िन्दगी है। लेकिन, गाँव में नीम के पेड़ के नीचे अच्छी नींद भी है। घर का बना हुआ खाना भी है। बिना पानी वाला दूध भी है। और अच्छी सेहत भी है। भले ही शहर में ऊँची इमारतें हों, अच्छे हॉस्पिटल हों, बढ़िया मॉल क्यों न हों, बेहतरीन स्कूली शिक्षा हो, अच्छा खान-पान हो, पर कुछ चीज़ें हैं जो शहर के लिए किसी समस्या से कम नहीं हैं। इसीलिए, आज भी बहुत से लोग शहरी जीवन से अच्छा जीवन गाँव को मानते हैं।