surrogacy in india:- 19 नवंबर को देश की राज्य सभा के 250वे सत्र में सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल पेश हुआ है। यह बिल देश के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पेश किया था। इस बिल को पेश करने के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने कहा को देश को सेरोगेसी रेगुलेशन बिल की जरुरत क्यों है? यह बिल पहले ही मानसून सत्र में लोकसभा में पास हो चूका है।
फिर क्या था, राज्य सभा में बिल पेश हुआ और बहस होनी शुरू हो गई थी। कुछ लोग इसमें बदलाव करना चाहते हैं। लेकिन इन बदलाव को बाद में समझेंगे। लेकिन पहले हम सेरोगेसी बिल के बारे में जान लेते हैं –
surrogacy in india:- सेरोगेसी, एक तरह की अरैंजमेंट है जिसमें कोई भी शादीशुदा कपल बच्चे पैदा करने के लिए किसी महिला की कोष को किराए पर लेता है। होता यूँ है कि देश में ऐसे कई कपल हैं जो बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं हैं, या किसी महिला को जान का खतरा भी होता है। जो भी औरत अपनी कोख में किसी दूसरे का बच्चा पालती है, उसे सेरोगेट मदर का नाम दे दिया जाता है।
साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट के पास एक केस आया था। इस केस में एक जापानी कपल बच्चा पैदा करने के लिए भारत आया। इसके लिए यहाँ उन्होंने एक महिला की कोख को किराए पर लिया। फिर, बच्चे के जन्म के ठीक एक महीने पहले ही इस कपल का ब्रेक-अप हो गया। अब इस होने वाले बच्चे का पिता इस बच्चे को अपने साथ जापान ले जाना चाहता था। लेकिन कानून में कहीं भी ऐसी बात लिखी ही नहीं है। इसके लिए न ही जापान राज़ी था न ही भारत। आखिर में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। अंत में कई बदलाव किए गए।
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surrogacy in india:- साल 2009 में लॉ कमीशन ऑफ इण्डिया को यह पता चला कि भारत में सेरोगेसी का इस्तेमाल विदेशी कर रहे हैं। इसके लिए कमीशन ने कमर्शियल सेरोगेसी को बंद करने की सलाह दे दी। 2015 में सरकार ने विदेशी लोगों के लिए सेरोगेसी बैन कर दी। फिर अंत में साल 2016 को सेरोगेसी बिल को इंट्रोड्यूस किया। अगस्त 2019 में लोकसभा में इस बिल को पास किया।
बहुत सी मुश्किलों के बाद इस बिल को पास किया गया। 19 नवंबर को इस बिल के लिए जो बहस हुई उसमें कोई भी निर्णय नहीं लिया गया।