निर्भया केस: 7 साल में जन्मे अनगिनत सवाल, दिमाग में आई इन बातों ने आपकी भी नींदे उड़ाई होगी….

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Nirbhaya Case

Nirbhaya Case: 16 दिसंबर 2012 की वो वारदात जिसने हर किसी को डरा दिया था। निर्भया रेप केस के बाद हर तरफ एक ऐसा माहौल था जो बेहद डरवाना था। मन में भरा गुस्सा, तो कहीं डर तो कहीं अपनों की फिक्र दिमाग में अनगिनत बातें यह सारी भावनायें मिल एक अलग मंजर बना चुकी थी। भारत की राजधानी दिल्ली में उभरा लोगों का यह गुस्सा महज दिल्ली तक या भारत तक सीमित नहीं था। बल्कि आक्रोश की यह आग दुनिया के कोने-कोने तक पहुँच चुकी थी।

इस बात को पूरे 7 साल बीत गए हलांकि इन सात सालों में निर्भया के गुनहगारों को तो वो सज़ा नहीं मिली जिसके वो हक़दार हैं। लेकिन इन बीते सात सालों में हालात और भी बत्तर हो चुके हैं। साथ ही वक़्त के साथ बिगड़ते हालातों की वजह से अनगिनत तूफान भी हम सभी के मन में उठे … जिसके चलते जब रीडर्स से यह सवाल पूछा गया तो कुछ ऐसे जवाब सुनाने को मिले।

सवाल था…

Nirbhaya Case

जवाब कुछ ऐसे मिले

यह सिर्फ श्रुति के घर का ही नहीं बल्कि हर घर का मंजर हैं, बेटी जब तक घर ना आ जाये तब तक घर वालों के मन में एक डर घर बनाये रहता हैं….

रुबी के इस सवाल ने मुझे भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या किसी भी लड़की के पास इतना वक़्त होगा।

सिर्फ दीपांशू को ही नहीं बल्कि कई भाइयों को यह खौफ सता रहा हैं।

बड़े-बुज़र्ग कहते थे, घर से जब बाहर निकलो तो किसी को साथ लेके निकलो लेकिन अब तो हमारे साथ बाहर जाने वाला भी खतरे में हैं।

यह भी एक अलग ही कश्मकश हैं, देश में रह कर सुरक्षित नहीं और देश छोड़ने पर देशद्रोही।

जितना कड़वा है, उतना जी यह ख्याल सच्चा भी क्योंकि हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहाँ बाक़ी चीज़ों पर बहुत जल्दी बिल आ जाता है या संशोधन हो जाता है जबकि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया जाता। हम तभी जोश में आते हैं जब कोई बड़ा केस आता है तब ही सबका ख़ून खौलता है जबकि सच्चाई ये है कि देश में हर 15 मिनट एक लड़की का रेप होता हैं।

सिमरन के मन में चल रहा यह सावल भारत देश के लिए शर्म कि बात हैं की एक पत्नी अपने ही पति के साथ बहार जाने के लिए सुरक्षा की माँग कर रही हैं।

अब तो यह सवाल दुनिया का हर इंसान जानना चाहता हैं, की आखिर कब तक यह सब होगा कब तक हम अखबारों में न्यूज़ चैनल इंटरनेट पर या रेडियो पर ऐसी खबर सुन और पढ़ शर्मिंदा होते रहेंगे।

सोच कर देखो इस सवाल में और इसके पीछे छुपी गहराई में दम तो हैं।

लो जी, इस सवाल का जवाब हैं क्या किसी के पास?

आज चुनाव प्रचार में भी औरतों की सुरक्षा एक मुद्दा बन चुकी हैं। इस विषय को मुद्दा बना कई राजनीतिक पार्टियाँ जीत भी जाती हैं लेकिन आम जनता के हाथ निराशा के अलावा कुछ नहीं लगता।

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