सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए बनाई स्पेशल समिति

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रक्षा

देश के सैन्य प्रतिष्ठानों में हो रहे गोलाबारूद और उनसे जान को खतरे की खबर तो आये दिन अखबारों या टीवी चैनलों में आ ही रही है। और अब ये एक चिंता का विषय बन गया है। इन हादसों को रोकने के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुछ खास कदम उठाने जा रहे हैं। अब इनसे निपटने के लिए रक्षा मंत्री एक विशेष समिति का गठन करने वाले हैं। राजनाथ सिंह ने इस समिति को बनाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी और सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफटिनेंट जनरल फिलिप कम्पोज के साथ सेवाओं ओएफबी डीजीक्यूए डीआरडीओ के सदस्यों को शामिल कर एक कमिटी बनाई।
रक्षामंत्री ने कहा की जनता और सैनिकों की सुरक्षा सबसे जरुरी है। पिछले दस सालों में सेना के कई हथियार डिपो में हादसे हुए।

क्या कहती है रिपोर्ट

  • 2000 में भरतपुर का आयुध डिपो आग का शिकार हुआ।
  • 2001 में पठानकोट और गंगानगर के आयुध डिपो में रखा गोलाबारुद जल गया था।
  • 2002 में भी जोधपुर के आयुध डिपो भी निशाने पर रहा।
  • 2005 में सीएडी पुलगांव, 2007 में कुंदरु और 2010 में पानागढ़ के आयुध डिपो धुएँ में जल कर तबाह हो गए।

अभी भी इसकी गिनती जारी है। इससे पहले कैग ने भी भारतीय सेना के पास गोलाबारुद की कमी के लिए आयुध कारखाने बोर्ड को जिम्मेदार कह चुका है। और गोलाबारुद के रख-रखाव के लिए भी उसके ऊपर सवालों की लड़ी लगा दी थी ।ऐसे में अब करोड़ो का नुक्सान और जवानों की मौत से देश की रक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में संभव है की सरकार को जरुरी कदम उठाने ही होंगे। अब देखना होगा कि सरकार द्वारा बनाई जा रही समिति या टीम किस हद्द तक साथ देती है।