हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की। इस मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री ने उनसे भारत-पाकिस्तान के बीच का संवेदनशील बन रहे जम्मू-कश्मीर वाले मामले को हल कराने कराने की बात कही है। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस बात को गलत ठहराया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनसे मध्यस्थता करने का आग्रह नहीं किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है, इसमें कोई अन्य देश दखल नहीं दे सकता।
इस मामले के लिए प्रवक्ता ने एक ट्वीट भी किया –
प्रवक्ता का कहना है कि, इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कभी इस तरह की कोई बात नहीं की है। भारत का यही स्वभाव रहा है कि भारत और पाकिस्तान आपस में ही इस मसले का हल निकालें। कुमार ने यह भी कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच और भी मुद्दे हैं जैसे शिमला समझौते और लाहौर जिन्हें घोषणापत्र के आधार पर ही सुलझाया जा सकता है।
असल में, अमेरिकी राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री में हुई मुलाकात के बाद दोनों ने एक प्रेस काॅन्फ्रेंस भी करी, जिसमें ट्रंप ने कहा कि ‘यदि भारत-पाकिस्तान के इस मुद्दे में अगर मैं कुछ मदद कर सका तो मैं मध्यस्थ बन कर इसमें अपनी भागीदारी दूँगा।’
अपने बयानों को लेकर चर्चा का विषय बनने वाले ट्रंप के इस समझौते वाले बयान से भारत हैरान हैं। बहरहाल, अमेरिकी व्हाइट हाउस द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में कश्मीर के बारे में कोई जिक्र ही नहीं था।
भारत-पाकिस्तान के बीच बिगड़े रिश्तों को लेकर पाक पीएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। यह दोनों देशों के बीच पहली मुलाकात थी। यह मुलाकात अमेरिका के व्हाइट हाउस में हुई थी जिसमें पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, आइएसआइ प्रमुख ले.जनरल फैज हमीद और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी मौजूद रहे।