आखिरकार देश की सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हित के लिए तीन तलाक़ बिल पास कर दिया है।
करीब चार घंटे संसद में चली चर्चा के बाद इसे राज्यसभा में पास कर दिया गया। इस बिल को पेश करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद थे। बिल का समर्थन करने वालों ने 99 वोट दिए, वहीं इस बिल को गलत मानने वालों ने कुल 84 वोट दिए।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा की बिल को लाने का पूर्ण मकसद मुस्लिम महिलाओं के लिए न्यायिक जीवन जीने के लिए बनाया गया था। इसे राजनीति से जोड़ना गलत होगा। मुस्लिम महिला विधेयक 2019 विवाह अधिकार संरक्षण के बारे में बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में इस प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद, आज भी देश में तीन तलाक़ की किस्से सुनने में आते हैं। उन्होंने कहा की इस बिल में कुछ लोगों की कमियां मिली थी, जिसपर बदलाव किया जा चूका है। अब बिल में जमानत और समझौते का प्रावधान रखा गया है।
आज के युग की महिलाओं के बारे में उदाहरण देते हुए कानून मंत्री ने कहा की हमारी बेटियां गोल्ड ला रही हैं, फाइटर प्लेन चला रही हैं, वैज्ञानिक बन रही हैं। लेकिन इस तरह की तीन तलाक़ जैसी प्रथा के कारण हम उनकी आजादी छिन्न रहे हैं। वहीं विपक्षी दल इसे मुस्लिम परिवार को तोड़ना बता रहे हैं।
अब क्या कानून बना है ?
तीन तलाक़ को तलाक़-ए-बिद्दत भी कहा जाता है। अब इसे गैर क़ानूनी माना जाएगा। तीन तलाक़ को अब एक संज्ञेय अपराध के रूप में देखा जाएगा। पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और सजा के तौर पर तीन साल की जेल भी हो सकती है। इसके बाद जमानत तब तक नहीं मिलेगी जब तक महिला पक्ष की बात नहीं सुनी जाए। इस बिल को संज्ञेय तभी माना जाएगा जब महिला या उसका सगा-सम्बन्धी इसकी शिकायत करे। महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौता करा सकता है। महिला को पति से गुजारा भत्ता भी मिल सकता है। इसकी राशि मजिस्ट्रेट तय करेगा। महिला अपने नाबालिक बच्चों को अपने पास रख सकती है या नहीं, इस पर भी फैसला कोर्ट तय करेगी।