Janmashtmi Special – “हे आनंद उमंग भयो जय हो नन्द लाल की नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की”

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Janmashthmi

जल्द ही मथुरा के नन्द गोपाल का जन्म होने वाला है। माँ देवकी और पिता वासुदेव के आठवें पुत्र के जन्म के लिए हर कोई उत्साहित है। उनके बारे में कौन नहीं जानता? उनकी लीलाओं को कौन नहीं याद रखता? भारत में ही नहीं विदेशों में भी श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। खासतौर से, इस त्यौहार की रौनक मथुरा, वृन्दावन और गोकुल में हर साल देखी जाती है। इस त्यौहार में लाखों लोग प्रभु कृष्ण की भक्ति लीन रहकर व्रत रखते हैं। मंदिरों को श्री कृष्ण की झांकियों से सजाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्म की कहानी

भगवान विष्णु का धरती पर अवतार लेने का कारण था राक्षसों का विनाश। इसीलिए उन्होंने श्री कृष्ण का रूप धरा। कहते हैं की श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस राजा की जेल में हुआ था। वो कंस राजा श्री कृष्ण के मामा थे, श्री कृष्ण की माँ देवकी के बड़े भाई। जब राजा कंस अपनी बहन को विवाह के बाद डोली में बैठा उन्हें छोड़ने जा रहे थे तभी एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी में कहा गया कि जिस बहन को तू डोली में बैठाकर बड़े प्यार से विदा कर रहा है उसी बहन की आठवीं संतान तेरी मौत का कारण होगी। यह सुन राजा कंस गुस्से में आ गया। उसने अपने सिपाहियों को आदेश देकर अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को जेल में दाल दिया। दोनों काल-कोठरी में राजा कंस के अत्याचार को झेलते रहे। राजा कंस ने अपनी बहन की सात संतानों को मार दिया था। और जब आठवीं संतान ने जन्म लिया। तो एक आवाज़ ने वासुदेव से कहा की इस संतान को वह गोकुल में अपने दोस्त नंदबाबा के यहाँ पहुंचा आएं। यह सुन वासुदेव ने उनकी बात मान ली। और बाल कृष्ण को एक टोकरी में रख कर वृंदावन की ओर निकल पड़े।

कहते हैं की उस रात बहुत तेज़ बारिश हो रही थी। देवकी और वासुदेव की काल-कोठरी के बाहर पहरा देने वाले चौकीदार गहरी नींद में सो गए। उस रात महल में बिलकुल शान्ति थी। भगवान विष्णु के चमत्कार से रास्ते में आने वाली हर बाधा स्वयं ही दूर होती चली गयी। जेल के हर ताले अपने-आप टूट रहे थे। उस रात बारिश से यमुना नदी में बाढ़ आ गयी। लेकिन वासुदेव ने भगवान् विष्णु का नाम जपते हुए यमुना नदी को पार कर लिया। उस बारिश से बचाने के लिए शेषनाग ने उनकी मदद की। और प्रभु श्री कृष्ण को सकुशल अपने सखा के यहाँ छोड़ आए।

कब मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी ?

इस बार जन्माष्टमी को लेकर लोग चिंतित हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन इस बार जन्माष्टमी को लेकर कई खबरें आ रही हैं।

असल में इस बार जन्माष्टमी की दो तिथि सामने आ रही हैं। यानी 23 और 24 अगस्त। कृष्ण पक्ष की अष्टमी 23 को पड़ रही है और रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त को है। इस बात को लेकर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है की किस दिन जन्माष्टमी का व्रत करें।

वहीं, पंडितों का कहना है कि ग्रस्थियों के लिए जन्माष्टमी का व्रत 23 अगस्त को रखा जाएगा। पंडित कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की तिथि को रात्रि के चंद्रोदय के दिन ही व्रत रखा जाता है। इस व्रत के लिए महिलाएं माँ देवकी के समान पुरे दिन बिन आहार के व्रत रख पूजा-अर्चना करती हैं। और रात के 12 बजे चंद्रदेव को अर्ध्य देकर अपना व्रत पूरा करती हैं।

जगह-जगह बच्चे श्री कृष्ण की वेशभूषा पहनते हैं। झांकियां बनाते हैं। और मंदिरों को भव्य रूप में सजाया जाता है। और इस त्यौहार को खूब धूमधाम से मनाते है। रात्रि के 12 बजते ही मंदिर में ‘हरे कृष्णा, हरे कृष्णा’ की गूँज होने लगती है। श्री कृष्ण के जन्म के बाद उनका महाभिषेक किया जाता है। उन्हें गाय के शुद्ध दूध से नहलाया जाता है। पुष्पवर्षा होती है। और हर कोई कामना करता है कि प्रभु के इस अवतार से हर किसी का कल्याण हो। सब लोगों की मनोकामना पूरी हों।