देश के सबसे बड़े बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक का कहना है कि वह 1.76 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को देने जा रहा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इस राशि को सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों की हालत में सुधार के लिए लगाएगी।
बहरहाल, इस फैसले ने एक बात की चिंता बढ़ा दी है। असल में पिछले साल रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल और नरेंद्र मोदी की सरकार से कई बातों को लेकर सहमति नहीं दी जा रही थी। जिसके बाद उर्जित पटेल ने कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दिया था।
असल में आरबीआई ने सोमवार को बयान दिया कि पिछले फाइनेंसियल ईयर की आय 17.3 अरब डॉलर और 7.4 अरब डॉलर की सरप्लस अमाउंट को आरबीआई अब केंद्र सरकार को देने वाली है। आरबीआई का कहना है कि यह ट्रांसफर न्यू इकनोमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के आधार पर मजूरी ले चूका है।
इसके लिए पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गयी थी जिसमें इस समिति ने ही न्यू इकनोमिक फ्रेमवर्क के लिए बात की थी। और समिति की इस बात को आरबीआई ने भी मान लिया था।
आरबीआई ने इस बात को लेकर सहमति दे दी है कि वह पिछले फाइनेंसियल ईयर की पूरी आय सरकार को दे देगा।
अब विपक्षी दल में भी उठ गए हैं सवाल
केंद्र सरकार के हित के लिए कोई काम हो और विपक्षी दल इसमें अपनी टांग न अड़ाए। ऐसा मुमकिन तो नहीं। आरबीआई के द्वारा दिए गए बयान से कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी चुप नहीं रहे। और उन्होंने अपनी यह चुप्पी तोड़ने का सहारा लिया है ट्वीटर से।
राहुल गाँधी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट किया – PM & FM are clueless about how to solve their self created economic disaster.
इसके बाद राहुल ने यह भी लिख दिया कि आरबीआई से चुराने का काम नहीं चलने वाला। यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है।
अब यह तो साफ़ दिख ही रहा है कि राहुल गाँधी ने अपना यह तीर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी की ओर छोड़ा है। इतना ही नहीं राहुल गाँधी यहीं तक चुप नहीं रहे, उन्होंने एक और सवाल उठा दिया। सवाल है -क्या इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा के पूंजीपति मित्रों को बचाने के लिए होगा ?
आपको बता दें, आरबीआई ने 2013-2014 के बाद से डिस्पोजेबल इनकम का 99 प्रतिशत राशि सरकार को दे रहा है। अगर डिविडेंड की बात करें तो 2018-2019 की कुल राशि में से 28 हज़ार करोड़ रुपए अंतरिम डिविडेंड के हिसाव पहले ही सरकार को दे चुकी है।