Pitra Paksh- इस साल श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 13 सितंबर से हो रही है। श्राद्ध पक्ष हिन्दू धर्म में भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि से आरम्भ होता है। श्राद्ध पक्ष 14 दिनों तक चलते हैं। इन श्राद्ध पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इन श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितरों का तर्पण, पिण्डदान व श्राद्ध करते हैं। माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह श्राद्ध पक्ष में पूजन करने का काफी महत्वपूर्ण होता है। इससे जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति भी मिल जाती है।
पौराणिक किताबों के अनुसार, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाया गया है। कहते हैं कि इन 15 दिनों के लिए हमारे पितृ मृत्यु लोक से धरती पर आते हैं.
Pitra Paksh- श्राद्ध पक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। मान्यता है इन 16 तिथियों पर पितर मृत्यु लोक से धरती पर आते हैं। इस अवधि में पितर हमसे और हम पितरों के करीब आ जाते हैं। श्राद्ध पक्ष का संबंध मृत्यु से होता है इसलिए इन तिथियों में शुभ और मांगलिक कार्यों को त्यागकर पितरों के प्रति सम्मान और एकाग्रता रखते हैं।
क्या होता है इन दिनों
शास्त्रों के अनुसार, Pitra Paksh को मृत्यु से जोड़ा गया है, कहते हैं कि इन तिथियों में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इन तिथियों में पितरों का मान-सम्मान और एकाग्रता से ध्यान करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, हमारे पितृ इस पक्ष के समय धरती पर किसी न किसी रूप में आते हैं। तभी तो इन दिनों गाय, कुत्ते या कौवों को खाना खिलाना चाहिए। कई लोग अपने दिन की पहली रोटी निकालकर गाय, कुत्ते या कौवे को खिलाते हैं। खासतौर पर अमावस्या के दिन गाय, कुत्ते या कौवे को जरूर खाना खिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
इन दिनों गंगास्नान करने के बाद पितरों की पूजा की जाती है। पितरों का तर्पण, श्राद्ध और ध्यान-धुप करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पंडितों को खाना खिलाया जाता है। इस दौरान दान-पुण्य भी किया जाता है।पितृ पक्ष के दौरान कच्चे दूध में जल मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाया जाता है। Pitra Paksh में गीता का पाठ भी किया जाता है।