बुझ नहीं रही है अमेज़न के जंगलों में लगी आग, बे-मौत मर रहे हैं जीव-जंतु

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अमेज़न के जंगल

सांसें हर किसी की जरुरत हैं। बिन सांसें जीवन नहीं, इस तथ्य को कोई भी गलत नहीं ठहरा सकता। लेकिन इस प्रकृति से मिलने वाली स्वस्थ हवा को हानी पहुँच रही हो, तो यह गलत होगा।

आपने अमेज़न नदी घाटी के बारे में तो सुना ही होगा। वहां के घने जंगल दुनिया में प्रचलित हैं। अब वो घाटी खतरे में हैं। पिछले तीन हफ़्तों से अमेज़न नदी की घाटी धूं-धूं कर जल रही है। सूत्रों के मुताबिक़, वहाँ की 47,000 वर्ग किलोमीटर के जंगल ख़ाक हो भी चुके हैं। माना जाता है कि इन जंगलों से दुनिया में 20 प्रतिशत ऑक्सीजन मिलती है। लेकिन इस साल इस जंगल में आग लगने की कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। लेकिन अब जो आग लगी है वो बुझ नहीं रही है। और यह मंज़र सच में भयावह होता जा रहा है।

करीब 55 लाख वर्ग किलोमीटर में फ़ैले हैं अमेज़न के जंगल

दक्षिण अमेरिका के ब्राज़ील में मौजूद यह जंगल, दुनिया का सबसे बड़ा वर्षा वन है। और इसे एक प्रसिद्ध नाम भी मिला हुआ है – दुनिया के फेफड़े। अमेज़न के वन में लगी आग की वजह से अमेज़न, रोदननीय और साओ पाओलो में धुएं के काले बादल छाए हुए हैं। इस वन में लगी आग से ब्राज़ील के 27000 किलोमीटर का क्षेत्र बुरी तरह झुलस गया है।

दक्षिण अमेरिका के ब्राजील में मौजूद दुनिया का सबसे बड़ा वर्षा वन और दुनिया के फेफड़े के नाम से प्रसिद्ध इस जंगल में आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है. इस साल यहां पर आग लगने की कई घटनाएं सामने आईं. लेकिन, अभी जो आग लगी है उससे तबाही का मंजर और भयावह होता जा रहा है. इस आग की वजह से अमेजन, रोडांनिया और साओ पाओलो में अंधेरा छा गया. इन जगहों पर लगी आग से ब्राजील का 2700 किमी क्षेत्र प्रभावित हुआ है.

इस ख़राब की चर्चा हर कोई कर रहा है। हर सोशल मीडिया पर इस मुद्दे से जुडी तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है। हर कोई अपने-अपने सोशल अकाउंट से सरकार से यही कह रहा है कि इस वन को बचाइए और इस वन में रहने वाले जीव जंतुओं को भी। ट्वीटर पर #prayforamazonas ट्रैंड कर रहा है।

अमेज़न इलाके के लोग मीडिया से बेहद नाराज़ हैं। लोगों का कहना है कि यह आग अगस्त के पहले हफ्ते में ही लग गयी थी, पर मीडिया ने इस पर कोई भी खबर नहीं लिखी, न ही दिखाया। वहीं, इस आग का ज़िम्मेदार लोग ब्राज़ील के राष्टपति पर लगा रहे हैं। लोगों का कहना है की यहाँ के राष्ट्रपति लोगों और किसानों को इस इलाके को छोड़ने की जिद्द करके बैठे थे।